चक्रवर्ती सम्राट अशोक विजय धम्म शोभा यात्रा 25 अक्टूबर को निकाला जाएगा
इस बार ग्यारहवां वर्ष है जो कि लगातार वक्ताओं, नाटक,संगीत के माध्यम से बुद्ध कथा का आयोजन किया जाता रहा है
उत्तर प्रदेश कौशाम्बी बुद्ध की तपोभूमि आज कौशांबी जिले के नाम से जाना जाता है। 25 अक्टूबर दिन बुधवार को सुबह 10 बजे करारी छपरा बाग से मोटर साइकिल से चक्रवर्ती सम्राट अशोक विजय धम्म शोभा यात्रा प्रारंभ होकर दरियापुर, समदा, मंझनपुर, ओसा,बेनीराम कटरा, सराय अकिल होते हुए शाम 6 बजे राजा उदयन की राजधानी कौशांबी में धम्म शोभा यात्रा का समापन किया जायेगा बरलहा बिंदास नगर करारी, मंझनपुर कौशांबी में चक्रवर्ती सम्राट अशोक धम्म विजय दशमी के पावन पर्व पर हर वर्ष की भांति इस बार ग्यारहवां वर्ष है जो कि लगातार वक्ताओं, नाटक,संगीत के माध्यम से बुद्ध कथा का आयोजन किया जाता रहा।
जिसमे भारी संख्या में लोग बुद्ध कथा का आनंद लेते हैं। यह कार्यक्रम शाम सात बजे से प्रारंभ होता है रात्रि लगभग 12बजे तक चलता रहता है।कमेटी का बहुत ही सराहनीय कार्य के चलते बुद्ध का कथा में किसी भी तरह से किसी को कोई परेशानी नहीं आती है अशोक विजय दशमी सम्राट अशोक के कलिंग युद्ध में विजयी होने के दसवें दिन तक मनाये जाने के कारण इसे अशोक विजयदशमी कहते हैं। इसी दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी। ऐतिहासिक सत्यता है कि महाराजा अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद हिंसा का मार्ग त्याग कर बौद्ध धम्म अपनाने की घोषणा कर दी थी।
बौद्ध बन जाने पर वह बौद्ध स्थलों की यात्राओं पर गए। तथागत गौतम बुद्ध के जीवन को चरितार्थ करने तथा अपने जीवन को कृतार्थ करने के निमित्त हजारों स्तंभों शिलालेखों व धम्म स्तम्भों का निर्माण कराया। सम्राट अशोक के इस धार्मिक परिवर्तन से खुश होकर देश की जनता ने उन सभी स्मारकों को सजाया और संवारा तथा उस पर दीपोत्सव किया। यह आयोजन हर्षोलास के साथ दस दिनों तक चलता रहा, दसवें दिन महाराजा ने राज परिवार के साथ पूज्य भंते मोग्गिलिपुत्त तिष्य से धम्म दीक्षा ग्रहण की। धम्म दीक्षा के उपरांत महाराजा ने प्रतिज्ञा की थी, कि आज के बाद मैं शास्त्रों से नहीं बल्कि शांति और अहिंसा से प्राणी मात्र के दिलों पर विजय प्राप्त करूँगा। इसीलिए सम्पूर्ण बौद्ध जगत इसे अशोक विजय दशमी के रूप में मनाता है।
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