Home » कृषि » आलू बुवाई का सही समय और सही तरीका

आलू बुवाई का सही समय और सही तरीका

आलू की पछेती बुवाई के लिए 15 से 25 अक्टूबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है कई किसान 15 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच में भी आलू की बुवाई करते हैं

संजीत मिश्रा की रिपोर्ट 

भारत कृषि प्रधान देश है भारत में अधिकांश किसान है किसानों को आलू की खेती में अच्छा पैसा मिलता है और ज्यादातर किसान आलू की खेती पर निर्भर रहते हैं

आलू की अगेती बुवाई 15 से 25 सितंबर और इसकी पछेती बुवाई के लिए 15 से 25 अक्टूबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है कई किसान 15 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच तक आलू की पछेती बुवाई भी करते हैं इसकी बुवाई से पहले खेत की मिट्टी को जैविक विधि से तैयार किया जाता है जिससे आलू की अच्छी पैदावार मिल सके इस समय आलू की बुवाई बहुत तेजी से हो रही है आज हम आपको लोगों को आलू की अच्छी पैदावार के लिए आलू की कैसे बुवाई करनी चाहिए इसके बारे में बताते हैं सबसे पहले आलू की अच्छी फसल के लिए पहले गोबर की खाद डालना चाहिए यदि हरी खाद का प्रयोग ना किया हो तो 15-30 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद प्रयोग करने से जीवांश पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है जो कंदो की पैदावार बढ़ाने में सहायक होती है यूरिया, डीएपी दूसरी चीज हमको अपने खेत की जुताई अच्छी तरह से करनी चाहिए ताकि हमारी जो खेत की मिट्टी है वह भुरभुरी हो जाए उससे हमारी फसल बहुत तेजी के साथ प्रगति करती है खरपतवार नियंत्रण के लिए आलू की अधिक उपज लेने के लिए फसल में खरपतवार नहीं पनपने चाहिए क्योंकि वे पौधों की नमी पोषक तत्वों को खत्म कर देते हैं जिसके कारण फसल की बढवार विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है साथ ही उपज भी घट जाती है इसके लिए खरपतवारों को बार-बार खुरपी से निकलते रहे खरपतवार नाशक का उपयोग करना चाहिए।

आलू बुवाई का सही समय और सही तरीका

आलू की खेती और मक्का की खेती पानी चाहता है पिता नहीं है इसलिए इसमें एक बार में थोड़ा पानी कम अंतराल पर देना चाहिए उपज के लिए लाभदायक है क्योंकि खाद की मात्रा ज्यादा रखी जाती है इसलिए रोपनी के 10 दिन के बाद परंतु 20 दिन के अंदर ही प्रथम सिंचाई आवश्यक करनी चाहिए आलू की खेती में फास्फोरस 45-50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पोटैशियम 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए गोबर फास्फोरस तथा पोटाश करो को खेत की तैयारी में रोपाई से पहले मिट्टी में अच्छी प्रकार मिला दें नाइट्रोजन की खाद को दो या तीन भागों में बताकर रुपए के क्रमशः 25,45 तथा 60 दिन बाद प्रयोग कर सकते हैं।

आलू को पकाने में 60 से 90 दिन का आइडियल टाइम लगता है लेकिन आलू की कुछ वैरायटी ऐसी भी हैं जो 130 दिनों में हार्वेस्टिंग के लिए रेडी हो जाती हैं इसमें यह ज्यादातर उन्नतशील किस्म है जिन्हें केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला ने विकसित किया है।

आपको बताते चलें आलू की क्यारी के बीच की दूरी कम से कम 50 सेंटीमीटर तो दो पौधों के बीच की दूरी 20 – 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए बी या तो सरकारी संस्थानों से खरीदे या फिर विश्वसनीय एजेंसी से ही प्राप्त करें आलू की बुवाई के लिए 30 से 45 ग्राम वाले अच्छे अंकुरित बीज का उपयोग करना चाहिए एक पंक्ति की दूरी दूसरी पंक्ति 50 से 60 सेंटीमीटर की दूरी पर रखें कंद से कंद 15 सेंटीमीटर की दूरी पर बॉय आलू की बुवाई के साथ से 10 दिन के बाद हल्की सिंचाई कर दें खरपतवार नियंत्रण के दो से चार पत्ती आने पर मेट्रिब्युजीन 70 फ़ीसदी यूपी डबल्यूपी 100 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के दर से छिड़काव करें ताकि खरपतवार फसलों पर कोई भी असर ना डाल पाए और ना तो फसलों को कमजोर कर पाए इसलिए समय-समय पर हमको अपनी फसलों में छिड़काव करना चाहिए ताकि घास फूस खरपतवार नष्ट हो जाएं और हमारी फसल की पैदावार अच्छी हो।

ये भी पढ़ें मूंगफली है जीवन के लिए वरदान, आइये जानते है कैसे ?

7k Network

Leave a Comment

RELATED LATEST NEWS

Latest News