उदहिन बुजुर्ग चौराहा पर चल रही रामलीला में हुई केवट संवाद की लीला
मांगी नाव न केवट आना, कहऊ तुम्हार मरम मैं जाना
उत्तर प्रदेश कौशाम्बी जिले के उदहिन बुजुर्ग चौराहा पर चल रही साप्ताहिक रामलीला के पांचवे दिन केवट संवाद की लीला दिखाई गई अयोध्या में भगवान श्रीराम के राजतिलक की तैयारी चल रही थी कि अचानक कैकेई ने राजा दशरथ से दो वरदान मांगे जिसमे प्रथम वरदान भगवान श्रीराम को चौदह साल का वनवास और दूसरा कैकेई पुत्र भरत को अयोध्या की राजगद्दी ऐसे में भगवान श्रीराम को वन जाना पड़ा साथ मे माता सीता और भाई लक्ष्मण भी वन गए। जैसे ही भगवान श्रीराम लक्ष्मण सीता गंगा घाट श्रृंगवेरपुर पहुंचे, उनकी भेंट निषादराज केवट से हुई भगवान श्रीराम ने निषादराज केवट से गंगा पार कराने को कहा जिसपर निषादराज केवट ने कहा कि पहले आप माता सीता सहित मुझसे पैर धुलवा लीजिए फिर मैं गंगा पार करूंगा इस पर भगवान श्रीराम और केवट संवाद हुआ। रामलीला के व्यास जी ने मानस की चौपाई सुनाई, मांगी नाव न केवट आना, कहऊ तुम्हार मरम मैं जाना। अंत में भगवान श्रीराम के माता सीता जी के साथ पांव धुलवाने पर निषादराज केवट भगवान श्रीराम माता सीता भाई लक्ष्मण को गंगा पार कराया।
इसके बाद भगवान चित्रकूट धाम पहुंचे चित्रकूट धाम में माता सीता और अनुसुइया माता के बीच तमाम ज्ञानवर्धक और स्त्री चरित्र को लेकर वार्ता हुई। लीला के अंत में सुपर्णखा के नाक कान कटने और सीता जी के हरण की लीला दिखाई गई इस अवसर पर मेला एवं रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अजय सोनी, बाबू श्रीचंद्र केसरवानी, डॉ अरविद मौर्य, अयूब अहमद प्रधान, डॉ राजेंद्र दिवाकर, बृजेंद्र तिवारी, रंजीत सरोज, जुम्मन अली, सतीश सिंह, गुड्डू केसरवानी, बिनोद सोनी, शिवम सोनी, लवकुश पटेल आदि लोग मौजूद रहे।
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