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कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन

भागवत कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन

भदोही। कोनिया के तुलसीकला में श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवे दिन श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कथा ब्यास प मारूति नन्दन जी महाराज ने किया।9 नवंबर 2023 से प्रारम्भ कथा यजमान के रुप में बसुनायक पाण्डेय हैं।

विंध्याचल धाम से पधारे महाराज श्रीशुभम जी ने कहा धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा भक्ति करे वही आज के समय में धनवान व्यक्ति है। परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम के द्वारा ही संभव हो सकती है।पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए महाराजद्वय ने बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी,पुतना का वध कर उसका कल्याण किया। माता यशोदा ने पंचगव्य गाय के गोबर, गोमूत्र से भगवान को स्नान कराती है। सभी को गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। गाय की सेवा से 33 कोटि देवी देवताओं की सेवा हो जाती है।

पृथ्वी ने गाय का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आये हैं। इसलिए वह मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। गोपबालकों ने जाकर यशोदामाता से शिकायत कर दी–’मां तेरे लाला ने माटी खाई है यशोदामाता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। ‘अच्छा खोल मुख।’ माता के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोल दिया। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही यशोदाजी ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। आकाश, दिशाएं, पहाड़, द्वीप, समुद्रों के सहित सारी पृथ्वी, बहने वाली वायु, वैद्युत, अग्नि, चन्द्रमा और तारों के साथ सम्पूर्णज्योतिर्मण्डल, जल, तेज अर्थात प्रकृति, महतत्त्व, अहंकार, देवगण, इन्द्रियां, मन, बुद्धि, त्रिगुण, जीव, काल, कर्म, प्रारब्ध आदि तत्त्व भी मूर्त दीखने लगे। पूरा त्रिभुवन है, उसमें जम्बूद्वीप है, उसमें भारतवर्ष है, और उसमें यह ब्रज, ब्रज में नन्दबाबा का घर, घर में भी यशोदा और वह भी श्री कृष्ण का हाथ पकड़े। बड़ा विस्मय हुआ माता को। श्रीकृष्ण ने देखा कि मैया ने तो मेरा असली तत्त्व ही पहचान लिया है। श्री कृष्ण ने सोचा यदि मैया को यह ज्ञान बना रहता है तो हो चुकी बाललीला, फिर तो वह मेरी नारायण के रूप में पूजा करेगी। न तो अपनी गोद में बैठायेगी, न दूध पिलायेगी और न मारेगी। जिस उद्देश्य के लिए मैं बालक बना वह तो पूरा होगा ही नहीं। यशोदा माता तुरन्त उस घटना को भूल गयीं।

महाराज मारूति नन्दन ने कहा गीता,भागवत ,रामायण पढ़ो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जायेगी। ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा छोडकर गिरीराज जी की पूजा शुरू कर दी तो इंद्र ने कुपित होकर ब्रजवासियों पर मूसलाधार बारिश की, तब कृष्ण भगवान ने गिरिराज को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मान मर्दन किया।कथा में राधेकृष्ण गोविंद गोपाल राधे राधे भजन ऊपर भक्तों ने खूब आनंद उठाया सभी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। कथा में गोविंद पण्डित, मल्लन पण्डित, अवध नारायण,अजबनारायण, हुबनारायण, कल्लन, बोके प्रधान, अतुल, बिपिन, लवकुश, धीरज,सूरज, लालू बबलेश, ननकुल्ला सहित बड़ी संख्या में सनातनी भक्त मौजुद रहें।

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