धर्म बोध पृष्ठ 190 का सारांश:-
- कबीर, ज्ञानी रोगी अर्थार्थी जिज्ञासू ये चार।
- सो सब ही हरि ध्यावते ज्ञानी उतरे पार।।
भावार्थ:- परमात्मा की भक्ति चार प्रकार के व्यक्ति करते हैं:-
- ज्ञानी:- ज्ञानी को विश्वास हो जाता है कि मानव जीवन केवल परमात्मा की भक्ति करके जीव का कल्याण कराने के लिए प्राप्त होता है। उनको यह भी समझ होती है कि केवल एक पूर्ण परमात्मा की भक्ति से मोक्ष होगा, अन्य देवी-देवताओं की भक्ति से जन्म-मरण का क्लेश नहीं कटेगा। पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर बात बनेगी। इसलिए ज्ञानी भक्त पार होते हैं।
- अर्थार्थी:- जो धन लाभ के लिए ही भक्ति करते हैं।
- आर्त यानि संकट ग्रस्त:- केवल अपने संकट का नाश करने के लिए भक्ति करते हैं।
- जिज्ञासु:- जिज्ञासु परमात्मा का ज्ञान अधूरा समझते हैं और वक्ता बनकर महिमा की भूख में जीवन नाश कर जाते हैं। यही प्रमाण गीता अध्याय 7 श्लोक 16-17 में भी है।
इसे भी पढ़ें जती तथा सती क्या होता है?
Post Views: 231