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Home » कहानी » आइए जानते है, वीरभूमि झांसी का पुराना नाम क्या था।

आइए जानते है, वीरभूमि झांसी का पुराना नाम क्या था।

जानि‍ए कि‍स तरह से पड़ा था झांसी का नाम

झांसी. झांसी पर प्रारंभ में चंदेल राजाओं का नि‍यंत्रण था। उस समय इसे बलवंत नगर के नाम से जाना जाता था। झांसी का महत्‍व सत्रहवीं शताब्‍दी में ओरछा के राजा वीर सिंह देव के शासन काल में बढ़ा। इस दौरान राजा वीर सिंह और उनके उतराधि‍कारि‍यों ने झांसी में अनेक ऐति‍हासि‍क इमारतों का नि‍र्माण करवाया। एक समय ओरछा के कि‍ले पर वीर सिंह और जैतपुर के राजा आपस में बात कर रहे थे। उसी समय बातों – बातों में जैतपुर के राजा ने कहा कि‍ बलवंत नगर यहां से ‘झाईं सी’ लग रहा है। यह शब्‍द जब राजा वीर सिंह ने सुना तो उन्हें यह शब्द काफी पसंद आया और धीरे-धीरे इतना प्रचलि‍त हुआ कि‍ बलवंत नगर का नाम झांसी पड़ गया।

आज हम आपको बताते है जो कि‍ बहुत कम लोग जानते हैं कि‍ रानी लक्ष्‍मीबाई ने जि‍स नगरी से शौर्य और पराक्रम के झंडे गाड़े थे, उस नगरी बलवंत नगर के नाम से जाना था। यहां पर सन 1605 से 1627 तक शासन (राज) करने वाले ओरछा के राजा वीर सिंह जूदेव ने 1613 में बंगरा नाम की एक पहाड़ी पर किले का निर्माण कराया था, जि‍से ओरछा कि‍ला के रूप में जाना जाता है। रानी लक्ष्‍मीबाई का किला भी इसी पहाड़ी पर स्थित है। उस समय राजा वीर सिंह ने इस पहाड़ी पर बने किले के आसपास नगर बसाया, जि‍से उन्होंने बलवंत नगर नाम दिया था। उस समय झांसी को बलवंत नगर के नाम से ही जाना जाता था। इस तरह बलवंत नगर का नाम पड़ा।

झांसी ऐतिहासिक ओरछा किले पर एक दिन वीर सिंह अपने पड़ोसी राज्य जैतपुर के राजा के साथ किले के बुर्ज पर बैठे हुए थे। दोनों आपस में बातें कर रहे थे। इस दौरान जैतपुर के राजा को ओरछा किले से बलवंत नगर में बना किला बिल्कुल थोड़ा सा दिख रहा था, इसलिए उन्होंने ‘झाईं सी’ कहा। जिसे बुंदेली में “बिल्कुल थोड़ा सा” कहा जाता है। राजा वीर सिंह को ‘झाईं सी’ शब्‍द बहुत पसंद आया। इसके बाद यह शब्‍द बलवंत नगर में काफी प्रचलि‍त हो गया और धीरे-धीरे यह झांसी बन गया। इस तरह बलवंत नगर को झांसी नया नाम मिल गया।

इसके बाद बलवंत नगर के नाम से सिक्के भी जारी हुए। बताते है मराठा शासन काल के दौरान बलवंत नगर में एक टकसाल स्थापित कराया गया था। टकसाल में मुगल शासकों द्वारा सोने-चांदी के सिक्के ढाल कर निर्माण किए जाते थे।

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