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कैसे बनी पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी

भारत में पहली महिला मुख्यमंत्री, सुचेता कृपलानी

आज भारत की राजनीति में महिलाओं की भूमिका और हिस्सेदारी बढ़ रही है। वर्तमान में भारत की वित्त मंत्री एक महिला हैं। यूपी की राज्यपाल एक महिला हैं, जो इसके पहले गुजरात की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री एक महिला हैं और यूपी के एक बड़े राजनीतिक दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष एक महिला हैं। देश के सबसे बड़े पद यानी कि राष्ट्रपति तक की कुर्सी पर एक महिला बैठी हैं। कुल मिलाकर भारत की राजनीति में महिलाएं हर बड़े पद पर हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में सबसे पहली बार कोई महिला कब मुख्यमंत्री बनी थी। जिस आजाद भारत के पास नेहरू जी, राजेंद्र प्रसाद जी थे तो उसी देश के पास इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू और सुचेता कृपलानी भी थीं। चलिए जानते हैं भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री के बारे में। कैसे एक महिला को मिली इतनी बड़ी जिम्मेदारी। कहां से शुरू हुई एक महिला को मुख्यमंत्री बनाने की कवायद।

सुचेता कृपलानी आजाद भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। सुचेता एक प्रतिष्ठित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं। सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून, 1908 में हरियाणा के अंबाला में एक बंगाली परिवार में हुआ था। सुचेता के पिता का नाम एस.एन. मजुमदार था, जो ब्रिटिश सरकार के अधीन एक डॉक्टर थे। हालांकि इसके बावजूद वह एक राष्ट्रवादी व्यक्ति थे।

सुचेता कृपलानी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के इन्द्रप्रस्थ और सेंट स्टीफन कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद सुचेता ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में व्याख्याता के पद पर कार्य करना शुरू किया।

साल 1936 में सुचेता की शादी आचार्य जीवतराम भगवानदास कृपलानी के साथ हुई। इसके बाद सुचेता स्वतंत्रता की लड़ाई की ओर पूरी तरह से सक्रिय हो गईं।

भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सुचेता प्रथम मोर्चे पर खड़ी थीं। देश की आजादी के लिए वह आवाज उठाती रहीं। वहीं जब भारत का विभाजन हुआ तो उस समय हुए दंगों में भी सुचेता कृपलानी ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर कार्य किया।

भारत के लिए जब संविधान बनना था, तब संविधान सभा का गठन हुआ, इसमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए सुचेता कृपलानी को शामिल किया गया था। उन्होंने भारत के संविधान में महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाई थी।

देश की आजादी के बाद सुचेता कृपलानी ने सक्रिय राजनीति में एंट्री की और साल 1952 में सुचेता कृपलानी लोकसभा की सदस्य निर्वाचित हुईं। वहीं साल 1957 में उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा का सदस्य बनाकर लघु उद्योग मंत्रालय दिया गया। इसके बाद 1962 में वह कानपुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य चुनी गईं। एक साल बाद साल 1963 में सुचेता कृपलानी उत्तर-प्रदेश की मुख्यमंत्री बन गईं। ये पहली बार था जब भारत में कोई महिला मुख्यमंत्री बनी हो। इसके बाद साल 1967 में सुचेता ने गोंडा विधानसभा क्षेत्र से चौदहवीं लोकसभा का चुनाव जीता और साल 1971 में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया।

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