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क्रांतिकारी ज्योतिबा फूले की जयंती पर जानें उनकी प्राथमिकता

क्रांतिकारी ज्योतिबा फूले की जयंती पर जानें उनकी प्राथमिकता

राजेश कुमार मौर्य

सिद्धार्थनगर: माता सावित्री बाई की जयंती पर हार्दिक बधाई।

3 जनवरी 2024 को माता सावित्री बाई जी जन्म हुआ। जन्म दिवस के रूप में सभी  लोगों को क्रांतिकारी कदम, शिक्षा और  जागरूकता की लहर बनाई।

यह बात 1889 की जब यशवंत जो की फुले दंपत्ति के गोद लिए हुए बेटे थे। वह 16 वे बरस में प्रवेश कर चुके थे और माता सावित्री बाई और महामना ज्योतिबा फुले उनके विवाह के बारे में सोच रहे थे। यशवंत के लिए उन्होंने उनके ही शत्य शोधक समाज के कार्यकर्ता कृष्णा जी और कन्या राधा को पसंद किया था।

अगर आप ये सोच रहे हैं की शादी सीधे तौर पर (मतलब आपके रीति रिवाज की तरह) हो गई हो होगी तो आप ग़लत सोच रहे हो।

यह एक अंतरजातीय विवाह था। शादी से पूर्व राधा और यशवंत का एक दूसरे के साथ परिचय हो जाए, वे एक दूसरे को अच्छी तरह से जान लें इसके लिए राधा को माता सावित्री बाई और महामना ज्योतिबा फुले ने राधा को अपने घर पर साथ में साथ रख लिया। जाहीर है कि दोनों को एक दूसरे को समझने के लिए समय बीतता गया और वे दोनों अपने भविष्य अच्छी तरह सोच समझ कर विवाह का निर्णय कर लें, यही ही नहीं राधा की पढ़ाई का खर्चा भी फुले दंपत्ति खुद किया।

सत्य शोधक  समाज की शादी में जो दूल्हा होता था उसे प्रतिज्ञा करनी पड़ती थी कि वो लड़की को पढ़ायेगा और उससे समानता पूर्वक व्यवहार करेगा।*

फुले दंपत्ति को उनके बेटे के लिए एक पढ़ी लिखी और स्वतंत्र विचारों की लड़की चाहिए थी। 24 सितम्बर 1888 को ससाणे जी को पत्र में महामना ज्योतिबा फुले लिखते हैं, “सावित्री ने घर के सारे काम सम्भालकर आपकी कन्या राधा उर्फ़ लक्ष्मी को पूरी तरह से पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए स्वतंत्र रखा है ताकि उसकी पढ़ाई सही तरीक़े से हो पाए और कोई बाधा ना आए।

इस तरह से उनका राधा उनकी होनेवाली बहु के साथ समानता तथा मैत्रीपूर्ण व्यवहार था।

माता सावित्री बाई के इस व्यवहार से हमें सिख मिलती है की सास और ससुराल वालों ने बहु को किस तरह से रखना चाहिए और बहु ने उनके साथ किस तरह व्यवहार करना चाहिए।

शादी से पहले लड़का लड़की एक दूसरे को जान लें, ये माता सावित्री बाई की उनके जमाने से 200 साल से आगे की सोच थी।

क्योंकि आज भी माता , पिता, हम बोले तो  कायदा , खानदान की इज्जत, status इसी के बारे में ज़्यादा सोचते है।
हम अगर 1% भी माता सावित्री बाई की तरह सोचने लगे तो उसी दिन से सामाजिक और सांस्कृतिक क्रांति होने लगेगी और बहुजन समाज मानसिक गुलामी से बाहर आने लगेगा।

ऐसे काफ़ी रोचक और  प्रेणादायी  बातें है जो माता सावित्री बाई की ज़िंदगी से मिलती है। एक बार माता सावित्री बाई को  पढ़िए तो सही।

माता सावित्री बाई को उनके जयंती दिवस 3 जनवरी पर हार्दिक बधाई

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