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मुख्तार अंसारी की मौत, मऊ, बांदा और गाजीपुर में 144 लागू

जेल में बंद मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत; मऊ, बांदा और गाजीपुर में 144 लागू

कई दिनों से बांदा जेल में बंद चल रहे मुख्तार अंसारी को गुरुवार की शाम हार्ट अटैक पड़ने के बाद मौत हो गई। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। इलाज के दौरान मुख्तार अंसारी ने दम तोड़ दिया। मुख्तार अंसारी की इस सप्ताह दूसरी बार तबीयत बिगड़ी थी। इससे पहले भी उनकी तबीयत खराब हो चुकी है। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। चेकअप के बाद वापस जेल भेजा गया था, जहां गुरुवार को एक बार फिर उनकी तबीयत खराब हो गई। डॉक्टरों ने चेकअप के दौरान हार्ट अटैक की बात कही। इसके बाद एंबुलेंस के जरिए उन्हें मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। मुख्तार की मौत से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। मुख्तार की मौत के बाद मेडिकल कॉलेज को पूरी छावनी में तब्दील कर दिया गया है। पुलिस और प्रशासन के भी कई अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं।

  • मुख्तार के भाई अफजाल ने लगाया था साजिश का आरोप

बांदा जेल में बंद मुख्तार की तबीयत खराब होने पर उनके भाई अफजाल अंसारी ने मारने का आरोप लगाया था। मीडिया से बातचीत के दौरान अफजाल ने कहा था कि मुख्तार को मारने की साजिश कई सालों से रची जा रही है। अफजाल ने कहा था कि एक बार गाजीपुर में ही बम बनाते समय विस्फोट हो गया, जिसमें एक मौत भी हो गई थी। दिल्ली पुलिस ने एक अपराधी को पकड़ा था जिसने कबूल किया था कि उसे पांच करोड़ रुपये मुख्तार को उड़ाने के लिए दिए गए थे। इसके अलावा भी कई घटनाएं हैं जिसमें मुख्तार को मारने की कोशिश की गई। सांसद ने कहा था कि यह सब बृजेश सिंह को बचाने के लिए किया जा रहा है। क्योंकि 2001 में उसरी चट्टीकांड में मुख्तार पर हुए हमले में बृजेश सिंह व त्रिभुवन सिंह के खिलाफ कोर्ट में मामला चल रहा है। इन लोगों को सजा न हो, इसके लिए घटना के 22 साल बाद मुख्तार और उस केस में शामिल गवाहों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। सरकार जानती है कि उसरी चट्टीकांड के केस में अगर बृजेश को बचाना है तो मुख्तार को खत्म करना होगा। मुकदमे में गवाही देने से पहले मुख्तार को मारने की साजिश है।

  • कोर्ट से अपनी जान की सुरक्षा की कई बार गुहार लगा चुका था मुख्तार

बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर गैंगेस्टर के कई मुकदमे चल रहे हैं। मुख्तार को हमेशा ही अपनी जान जाने का खतरा सताता रहता था। इसी के चलते वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी पर आता था। इस दौरान मुख्तार कोर्ट से जान का खतरा बताते हुए कई बार सुरक्षा की गुहार भी लगा चुका था। आठ दिन पहले बाराबंकी की एमपी एमएलए कोर्ट में माफिया मुख्तार अंसारी को पेश होना था, हालांकि वह पेश नहीं हुआ था। उसने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में पत्र दाखिल किया। मुख्तार ने कोर्ट में दाखिल पत्र में अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया था। मुख्तार ने कहा था कि जेल में उसे खाने में जहर देकर मारने का प्रयास किया गया है। जहर के कारण हालत काफी गंभीर है। पूरे शरीर के नसों में दर्द हो रहा है। बांदा जेल में जान का खतरा बताते हुए उसने मेडिकल बोर्ड का गठन कर बेहतर इलाज का अनुरोध किया था।

कोर्ट को दिए पत्र में लिखी थी जहर देने की बात

मुख्तार अंसारी ने अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन के माघ्यम से न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दिया था। जिसमें मुख्तार ने कहा था कि बांदा जेल में बीते 19 मार्च को जो उन्हें भोजन दिया गया था उसमें जहर मिला था। भोजन करने के बाद प्रार्थी की हालत बहुत ही खराब हो गई। हाथ पैर ही नहीं पूरे शरीर की नसों में दर्द है, ऐसा लगता है कि उसकी मृत्यु हो जाएगी। उसने कहा कि इस घटना के 40 दिन पहले भी उसे खाने में विषाक्त पद्वार्थ मिला कर दिया गया था। उसे जेल स्टाफ द्वारा खाना टेस्ट करके दिया जाता था। उक्त खाना खाने वाले जेल कर्मचारी भी बीमार हुए थे। मुख्तार ने बांदा जेल में जान का खतरा बताते हुए कहा कि उसके साथ कोई भी अनहोनी हो सकती है।

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