“हे कृष्ण तुम आये!”
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घनघोर अंधेरी रात में,
भादों के महीने में!
मूसलाधार बारिश में;
मथुरा के बंदीगृह में!
हे कृष्ण मुरारी,
गिरिधारी तुम आये!
बचपन से ही राक्षसों को,
मार तुम भगाये!
जन्म लेते ही मां के मन को,
अति हर्षाये!
उफनाती यमुना को वसुदेव संग,
पार कर नंद- सुख पहुंचाये!
यशोदा के घर-आंगन को,
लीलाओं को अनेक कर!
हे लीलाधर,
नटवरलाल तुम कहलाये।
आततायी- कंस- वध कर,
शूरवीर तुम कहलाये।
अर्जुन- सा धनुर्धारी पा,
महाभारत तुम रचाये!
मथुरा की जनता की,
सुख-शांति हेतु!
राजधानी द्वारकापुरी में,
जा कर बसाये!
बचपन की मित्रता को,
पचपन की उम्र में निभाये!
मित्र सुदामा गरीब को;
हृदय- सिंहासन पर बिठाये।।
-शैलेन्द्र कुमार मिश्र
पूर्व प्रधानाचार्य व प्रबंधन सदस्य
तुलसीदेवी करुणापति स्मारक बालिका इं० कालेज,तरती, होलागढ़, सोरांव, प्रयागराज ।
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