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यूनिसेफ के टेबिल फीड बैक ने फेक फील गुड का भरम फैलाया

यूनिसेफ के टेबिल फीड बैक ने फेक फील गुड का भरम फैलाया, बजबजाती गंदगी नारकीय नागरिक जीवन से जूझते एटा के शहरी इलाकों में नही दिखी कोई कमी।

एटा। जुलाई माह में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाए गए संचारी रोग अभियान के दस्तक की सघन निगरानी और अनुश्रवण करने बाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था की स्थानीय यूनिट ने अफसरों से मिल कर असलियत से इतर सफेद झूठ का फील गुड अपनी टेबिल फीड बैक रिपोर्ट से फैला दिया है । यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक संचारी अभियान की दस्तक की रैंकिंग में एटा पूरे प्रदेश में नौवे स्थान पर है। इस फील गुड को यूनिसेफ के कोर्डिनेटर आलोक बर्मा बड़ी शान से बखान कर रहे है। इस फीड बैक रिपोर्ट की पड़ताल तथ्यों की कसौटी पर करें उससे पहले एटा की स्थानीय यूनिट के संसाधन मेन पावर कार्यलय की श्तित को समझना होगा । एटा यूनिसेफ कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के प्रथम तल पर पूर्व में बने प्रसाधन कक्ष ( वास रूम) 6/5 साइज में बना है।

जिसमे कोर्डिनेटर सहित चार अन्य मोनिटर हैं जो अलीगंज जैथरा, सकीट निढौली कलां में तैनात हैं।

लगभग अठारह लाख की आबादी को समेटे एटा में नो निकाय संस्थाएं,पांच सौ छियत्तर ग्राम पंचायत है जिनके आठ सौ वानवे ग्राम हैं। इन सुदूर इलाकों में स्ञचारी अभियान दस्तक की देखरेख यूनिसेफ के इन बंदों ने की जिसमे लगभग सभी बिंदुओं पर ठीक ठाक मिला परिणाम स्वरूप एटा का नाम रोशन हुआ है।

फीड बैक रिपोर्ट के हवाले से पता किया तो ज्ञात हुआ है नगर विकास के अंतर्गत आने वाले अनुश्रवण के बिंदुओं में नालों की सफाई, एंटी लार्वा, ओट फागिंग को देखा गया जिसमे एटा के शहरी इलाकों में यह काम बखूबी हुआ है बकौल यूनिसेफ पूरे जिले का प्रतिशत क्रमश 95, 92,92 प्रतिशत रहा है। चौकाने बाला आंकड़ा तो एटा शहर का है जहां नालों की सफाई सौ फीसदी एंटी लार्वा 97 फीसदी और फोगिंग कार्य 97 फीसदी हुआ है। जबकि असलियत में पूरे शहर में नालों की सफाई हो ही न सकी फील वक्त यदा कदा नाले साफ होते अभी भी दिख रहे हैं।एटा मुख्यालय पर सार्वजनिक स्थल पर कूड़े को पहाड़ अभी दिख रहे हैं। है चौकाने बाली बात ! मजे की बात यह है जुलाई माह में यूनिसेफ की फीड बैक रिपोर्ट को आधार बना कर प्रशानिक स्तर पर बारह अधिकारी कचरियो के विरुद्ध कार्यवाही भी कर दी गई रिपोर्ट की गुणवत्ता कितनी शुद्ध होगी यह हालिया फीड बैक रिपोर्ट साफ हो रहा है। मजे की एक और बात यह भी रही यूनिसेफ की पहल पर पिछले दिनों ऐसे ब्लॉक्स में स्वस्थ अधिकारियों को प्रशंसा प्रमाण पत्र दिलाया गया कहा यूनिसेफ का कोई मोनिटर नही है इन ब्लॉक्स में दस्तक के बिंदुओं पर प्रगति हायर रही साफ जाहिर है जब मोनिटर नही थे तो यह शाबाशी अपने खातों में खुद स्थानीय मेडिकल अफसरों ने खुद ली मनमर्जी से आंकड़े बढ़ा चढ़ा कर दर्ज किए गए। जानकर सूत्र बताते हैं अपने अधिकारी करचारियो के काम का मूल्यांकन एवं इस प्रोत्साहन ऐसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन खुद करते है पर स्थानीय कोर्डिनेटर मिलजुल कर जिला स्तरीय अधिकारियों से प्रसंसा प्रमाण पत्र प्राप्त कर अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं। प्रशानिक हलकों को इन हालातों पर गौर करना चाहिए यूनिसेफ के फीड बैक को जस का तस स्वीकार कर लेने की प्रवृत्ति किसी दिन बड़ी उलझनों का सबब बन सकती है।

धरातल पर एटा की बदहाल तस्वीर सच्चा आइना है जिससे हम सभी हर दिन दो चार हो रहे है डिजिटल फोड़ बैक के लम्बी चौड़ी रिपोर्ट इन हकीकतों को खुंठला नही सकती।

जिला संवाददाता अमित चौहान

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