अजमेर से लेकर कानपुर तक ट्रेनों को ट्रैक से उतारने का षडय़ंत्र, ब्लॉक इंजन से टकराकर टुकड़े टुकड़े हो गए। यदि ब्लॉक टुकड़े नहीं होते तो माल गाड़ी के डिब्बे पटरी से उतर सकते थे।
नई दिल्ली 9 सितंबर को जब दिल्ली में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त अरब अमीरात के प्रमुख शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच परमाणु ऊर्जा और तेल को लेकर द्विपक्षीय समझौते हो रहे थे, तभी देश में दो ट्रेनों को ट्रेक से उतारने के षडय़ंत्र सामने आए। राजस्थान के अजमेर के निकट सराधना से गुजर रहे माल ट्रेक (डीएफसी) पर किसी देश विरोधी तत्व ने 70-70 किलो के सीमेंट के ब्लॉक रख दिए। इन ब्लॉक के बारे में इंजन ड्राइवर को कोई जानकारी नहीं हुइ्र, इसलिए ब्लॉक इंजन से टकराकर टुकड़े टुकड़े हो गए। यदि ब्लॉक टुकड़े नहीं होते तो माल गाड़ी के डिब्बे पटरी से उतर सकते थे।
उल्लेखनीय है कि मुंबई दिल्ली के बीच मालगाड़ी के लिए यह स्पेशल ट्रैक बनाया गया है। इसमें एक कंटेनर पर दूसरा कंटेनर रखा होता है। पटरी से उतरने पर हादसे की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस हादसे को लेकर रेलवे की ओर से मांगलियावास पुलिस थाने पर रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है। इस हादसे के बाद अजमेर रेल मंडल में खलबली मची हुई है। रेलवे के अधिकारियों ने पैसेंजर ट्रेनों के ट्रेक पर निगरानी को बढ़ा दिया है। अजमेर में तो मालगाड़ी को ट्रेक से उतारने का प्रयास किया गया, जबकि उत्तर प्रदेश के कानपुर के निकट तो यात्री ट्रेन कालिंदी एक्सप्रेस को पटरी से उतारने की हर संभव कोशिश की गई। ट्रेक पर सिलेंडर रखा गया। यह तो अच्छा हुआ कि ट्रेन के ड्राइवर ने सिलेंडर को देखकर ट्रेन को रोक लिया। गंभीर बात तो यह है कि सिलेंउर के पास ही बोतल और माचिस भी मिली है। जाहिर है कि देश विरोधी तत्व कालिंदी एक्सप्रेस को ट्रैक से उतारना चाहते थे। यदि यात्री ट्रेन के डिब्बे ट्रेक से उतरते हैं तो अनेक जाने खत्म हो सकती थी। अजमेर और कानपुर की घटनाएं बताती है कि देश में ऐसे तत्व रह रहे हैं जो भारत की प्रगति से खुश नहीं है। सब जानते हैं कि दुनिया के आर्थिक क्षेत्र में भारत तीसरी महाशक्ति बनने जा रहा है। इसके तहत 9 सितंबर को यूएई के साथ कारोबारी समझौते किए गए, लेकिन देश विरोध तत्व मालगाड़ी और यात्री गाड़ी को पटरी से उतारकर भारत को पीछे धकेलना चाहते हैं।
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