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तत्वदर्शी संत:- त्यौहार वहीं जो शास्त्र अनुकूल

संतो का मानना और हमारे ग्रंथों के अनुसार कैसा है यह त्यौहार

भाई दूज एक पवित्र त्यौहार है जो भाई-बहन के रिश्ते और उनके प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह दिवाली के बाद आता है और इसे विशेष रूप से भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए पूजा करती हैं और तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं।

संत रामपाल जी महाराज का इस पर्व पर दृष्टिकोण

हालांकि, संत रामपाल जी महाराज का इस पर्व पर दृष्टिकोण थोड़ा अलग है। उनके अनुयायियों का मानना है कि शास्त्रों के अनुसार किसी भी प्रकार की पूजा, हवन या तिलक लगाने जैसे रीति-रिवाजों का संबंध अध्यात्मिक लाभों से नहीं है और यह कर्मकांड का ही एक हिस्सा है। संत रामपाल जी महाराज का मानना है कि सच्ची पूजा वही है जो शास्त्रों के अनुकूल हो और ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाती हो। उन्होंने बताया है कि हमारे शास्त्रों में कहीं भी भाई दूज, रक्षाबंधन, या ऐसे किसी भी प्रकार के त्यौहार का उल्लेख नहीं किया गया है, जिसमें तिलक या कोई अन्य कर्मकांड शामिल हो। इसलिए वे इसे शास्त्र अनुकूल मानते हैं।

उनका यह भी कहना है कि जब ईश्वर की वास्तविक भक्ति शास्त्रों के अनुरूप की जाती है, तो व्यक्ति को ऐसे धार्मिक कर्मकांडों की आवश्यकता नहीं रह जाती। वे मानते हैं कि केवल परमात्मा की सच्ची भक्ति और साधना ही हमें मुक्ति दिला सकती है और भाई-बहन के सच्चे प्रेम के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं है। भाई दूज जैसे त्यौहारों का उद्देश्य परिवार में प्रेम बढ़ाना और साथ रहने की भावना को बढ़ावा देना हो सकता है, लेकिन इसे ईश्वर प्राप्ति का साधन नहीं माना जा सकता।

संत रामपाल जी महाराज का मुख्य उद्देश्य लोगों को शास्त्र आधारित भक्ति मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है। वे मानते हैं कि भाई दूज जैसे त्यौहार मानवीय मूल्यों को जागरूक करने के लिए अच्छे हो सकते हैं, लेकिन आध्यात्मिक रूप से यह शास्त्र आधारित साधना का हिस्सा नहीं है।

इस पर्व पर संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों के विचार 

इस प्रकार, संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी मानते हैं कि भाई दूज जैसे त्यौहारों को बिना कर्मकांडों और पूजा-पाठ के सादगी से मनाना चाहिए। उनका कहना है कि केवल सच्ची भक्ति और ज्ञान ही हमें शांति, प्रेम और मुक्ति प्रदान कर सकते हैं।

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