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अहिरवार समाज ने किया मृत्यु भोज का बहिष्कार।

अहिरवार समाज ने किया मृत्यु भोज का बहिष्कार और  संकल्प लेकर लोगों को किया जागरूक

 

झांसी। समाज में समय-समय पर विभिन्न कुरीतियों और रीति-रिवाजों पर रोक लगाने का प्रयास किया जाता रहा है, ताकि समाज का विकास और उत्थान हो सके। ऐसी ही एक पुरानी कुरीति को समाप्त करने के उद्देश्य से झांसी जिले के टहरौली के रविदास मंदिर पर अहिरवार समाज के लोगों ने एक बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में समाज के प्रमुख लोग एकत्रित हुए और मृत्यु भोज जैसी कुरीति को समाप्त करने का संकल्प लिया।

समाज के प्रतिष्ठित सदस्य हीरालाल अहिरवार ने बैठक के दौरान अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि मृत्यु भोज एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसमें शोकाकुल परिवार को अपने दुख के समय में भोजन का आयोजन करना पड़ता है। उन्होंने इसे महापाप के समान मानते हुए इस प्रकार की प्रथा का विरोध करने की अपील की। उनका कहना था कि किसी के दुख में ऐसे भोज का आयोजन करना न केवल अप्रासंगिक है, बल्कि यह अनावश्यक आर्थिक बोझ भी डालता है। उन्होंने आगे कहा कि इस कुरीति को छोड़ना समाज के हित में होगा, जिससे शोकाकुल परिवार आर्थिक रूप से सुरक्षित रह सकेगा।

 

टहरौली के निवासी मुकेश ने भी अपनी बात रखते हुए इस कुरीति का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि मृत्यु भोज जैसी कुप्रथा को समाज से समाप्त करना चाहिए, क्योंकि इससे समाज का भला होगा और आने वाली पीढ़ियाँ भी इस कुप्रथा के बोझ से मुक्त रहेंगी। उनका मानना था कि यदि समाज के लोग इस कुप्रथा को त्यागने का संकल्प ले लें तो इसका व्यापक असर पूरे समाज पर पड़ेगा और लोग आर्थिक कठिनाइयों से बच सकेंगे।

उपस्थित सभी सदस्यों ने मृत्यु भोज का बहिष्कार करने की ली शपथ

उन्होंने कहा कि यह कदम समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण साबित होगा और अन्य समुदायों के लिए भी एक प्रेरणादायक पहल बनेगा। सभी सदस्यों ने शपथ ली कि वे न केवल मृत्यु भोज का आयोजन नहीं करेंगे, बल्कि ऐसे किसी भी कार्यक्रम में सम्मिलित भी नहीं होंगे। इसके साथ ही उन्होंने समाज के अन्य लोगों से भी इस कुरीति के विरुद्ध खड़े होने की अपील की।

 

अहिरवार समाज के इस प्रयास से पूरे जिले में सकारात्मक चर्चा शुरू हो गई है। इस पहल से समाज में एक नई चेतना का संचार हुआ है और लोग मृत्यु भोज जैसी कुरीतियों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। इस बैठक के माध्यम से समाज ने एक सशक्त संदेश दिया है कि यदि संगठित होकर कोई कदम उठाया जाए तो समाज की किसी भी कुरीति का अंत किया जा सकता है।

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