आइए जानते है इस दो दिवसीय कार्यशाला की विशेष जानकारी
झांसी, 18 नवंबर जलवायु परिवर्तन, जल संकट और भूमि क्षरण जैसी चुनौतियों के समाधान के उद्देश्य से इक्रीसेट हैदराबाद द्वारा “नेक्सस गेन्स” परियोजना पर आधारित दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन झांसी में किया गया। इस परियोजना का उद्देश्य गंगा बेसिन में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और जलवायु-अनुकूल कृषि-खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देना है।
इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भाग लिया। प्रमुख वक्ताओं में अंतर्राष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान (IWMI) कोलंबो के रिसर्च ग्रुप लीडर डॉ. मैथ्यू मेककार्टनी, इक्रीसेट माली के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मेक्युनेंट मेलेस, और इक्रीसेट के ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ. विक्टर अफारी-सेफा सहित कई विशेषज्ञ शामिल थे।
कार्यक्रम के पहले दिन विशेषज्ञों ने झांसी के टहरौली और तालबेहट क्षेत्रों का दौरा किया। वहां भूमि, जल, और कृषि से जुड़े स्थानीय मुद्दों के समाधान के लिए अपनाई गई नवीन तकनीकों का अवलोकन किया गया।
दूसरे दिन आयोजित कार्यक्रम में शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं, किसानों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों ने शुष्क भूमि प्रणालियों में नवीन वैज्ञानिक समाधानों और सफल हस्तक्षेपों को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श किया।
इस अवसर पर रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.के. सिंह, मुख्य विकास अधिकारी श्री जुनैद अहमद, वर्ल्ड बैंक के सलाहकार डॉ. बी.पी. सिंह और कई अन्य प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे। इक्रीसेट के वैज्ञानिकों ने अपने व्याख्यानों में जलवायु-अनुकूल कृषि और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग पर जोर दिया।
इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और शुष्क क्षेत्रों में टिकाऊ कृषि प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों के बीच सहयोग को मजबूत करना था। इसका संचालन और समन्वय डॉ. रमेश सिंह ने किया है।
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