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नेट की परीक्षा ने चलवाया चाबुक घर-घर दौड़े अध्यापक

नेट की परीक्षा ने चलवाया चाबुक घर-घर दौड़े अध्यापक, घर-घर दौड़ने के बाद भी शत प्रतिशत उपस्थित नहीं हो रहे हैं छात्र और छात्राएं

उत्तर प्रदेश कौशांबी जनपद में 25 और 26 नवंबर 2024 को एनएटी की परीक्षा शुरू होने जा रही है परीक्षा में सभी छात्र और छात्राओं की प्रतिभागिता हेतु सत प्रतिशत उपस्थिति रहने के लिए निर्देश दिए जा रहे हैं एनएटी और एन ए एस परीक्षा में अपेक्षित रुचि नहीं लिए जाने के कारण विद्यालयों में छात्र और छात्राओं की उपस्थिति बिल्कुल कम दिखाई पड़ रही है जिसके फल स्वरुप प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों को नेट की परीक्षा जब आई और कम बच्चों की उपस्थिति नजर आई तो उपस्थित पूरा करने के लिए जनपद कौशांबी के परिषदीय विद्यालयों के अध्यापक और अध्यापिकाएं एड़ी से चोटी का बल लगाए हुए हैं इसी तरह से शायद सस्त्र प्रारंभ होते ही अध्यापक और अध्यापिकाएं मेहनत कर बच्चों को शिक्षा दिए होते तो शायद आज घर-घर दौड़ने की नौबत न आती आज नौबत यह है कि प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को बच्चों की खोज करनी पड़ रही है जबकि प्राइवेट विद्यालयों के अध्यापक बच्चों के फीस लेकर बैठे-बैठे कुर्सी को तोड़ रहे हैं मौज उड़ा रहे हैं।

आपको बताते चलें यह कमजोरी सबसे पहले सरकार की मानी जा रही है क्योंकि समय का बदलाव कर दिया जा रहा है साथ ही साथ विद्यालय में ऐसे भी कामचोर अध्यापक हैं जो बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते हैं जिस कारण से अभिभावक अपने बच्चों को प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय में भेजने से कतरा रहे हैं और अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। निर्देशों के बाद भी मंझनपुर विकासखंड के कंपोजिट विद्यालय लहंना के समस्त स्टाफ का माह नवंबर का वेतन रोक दिया गया है। मंझनपुर के खंड शिक्षा अधिकारी प्रमोद गुप्ता ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यदि एन ए टी और एन ए एस परीक्षा के दौरान छात्र उपस्थिति में कोई कमी परिलक्षित हुई या न्यून उपस्थिति के कारण परीक्षा परिणाम प्रभावित हुआ तो संबंधित कक्षाध्यापक पर निलंबन की कार्रवाई की जाएगी यदि किसी विद्यालय से पुनः ऐसी शिकायत प्राप्त होगी तो संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक और कक्षा अध्यापक के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। अगर बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी पहले से विद्यालय के प्रति अग्रेषित हुए होते तो आज इतना बड़ा कठोर निर्देश दिए जाने की जरूरत शायद न पड़ती।

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