अतीक अहमद के शूटर अब्दुल कवि का फतेहगढ़ जेल में तबादला: 18 साल की फरारी के बाद माफिया तंत्र पर कड़ा प्रहार
रिपोर्टर अमित कुमार
कौशाम्बी–: माफिया अतीक अहमद के खतरनाक IS-227 गैंग का मुख्य शूटर अब्दुल कवि अब कौशांबी जेल से फतेहगढ़ केंद्रीय कारागार में शिफ्ट कर दिया गया है। सुरक्षा कारणों से सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। शुक्रवार को अब्दुल कवि को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच फतेहगढ़ भेजा गया, जहां अब वह प्रशासन की सख्त निगरानी में रहेगा।
राजू पाल हत्याकांड से फरारी तक का काला अध्याय
2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या में शामिल होने के बाद अब्दुल कवि करीब 18 साल तक कानून से बचता रहा। इस दौरान उसने पुलिस की नजरों में धूल झोंककर फरारी काटी। हालांकि, उमेश पाल मर्डर केस ने उसकी फरारी को खत्म कर दिया। जब पुलिस ने IS-227 गैंग पर शिकंजा कसना शुरू किया और परिवार पर बुलडोजर कार्रवाई का दबाव बनाया, तो आखिरकार उसने मार्च 2024 में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया।
सीबीआई कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा
अब्दुल कवि को सीबीआई कोर्ट ने राजू पाल हत्याकांड में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस केस ने अतीक अहमद के साम्राज्य और उसके शूटरों की क्रूरता को एक बार फिर उजागर कर दिया। अब्दुल कवि को 9 महीने पहले कौशांबी जेल लाया गया था, लेकिन अब उसकी गतिविधियों पर और कड़ी निगरानी के लिए उसे प्रदेश की सबसे सुरक्षित जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है।
फतेहगढ़ जेल: हाई-प्रोफाइल कैदियों के लिए अभेद्य किला
फतेहगढ़ जेल को अपनी सख्त सुरक्षा और अभेद्य प्रबंधन के लिए जाना जाता है। यहां हाई-प्रोफाइल अपराधियों को रखा जाता है, ताकि बाहरी दुनिया से उनका संपर्क पूरी तरह से खत्म हो जाए। अब्दुल कवि के तबादले को लेकर जेल अधीक्षक अजीतेश मिश्रा ने कहा, “बुधवार रात स्थानांतरण का आदेश मिला था। शुक्रवार को सभी प्रक्रियाएं पूरी कर उसे फतेहगढ़ भेजा गया।”
माफिया तंत्र पर करारा प्रहार
अब्दुल कवि का फतेहगढ़ जेल में स्थानांतरण माफिया अतीक अहमद के नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में प्रशासन का एक अहम कदम माना जा रहा है। उमेश पाल मर्डर केस के बाद सरकार और प्रशासन माफिया तंत्र को खत्म करने के लिए आक्रामक रुख अपना चुके हैं।
कानून के शिकंजे में माफिया का प्रमुख हथियार
अब्दुल कवि के खिलाफ प्रयागराज के धूमनगंज और कौशांबी के सराय अकिल थानों में हत्या, अपहरण, आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर मामलों में आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। उमेश पाल हत्याकांड में उसका नाम सामने आने के बाद से पुलिस लगातार उसके सहयोगियों और गैंग के अन्य सदस्यों पर दबाव बना रही है।
माफिया युग का अंत?
सरकार और प्रशासन की सख्ती से अब सवाल यह है कि क्या यह कदम माफिया अतीक अहमद के साम्राज्य के अंत की शुरुआत है? अब्दुल कवि का फतेहगढ़ जेल में स्थानांतरण यह संकेत देता है कि सरकार माफिया के हर हिस्से को तोड़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कदम के बाद अतीक अहमद के गिरोह पर इसका कितना प्रभाव पड़ता है।
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