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प्रयागराज महाकुंभ में विश्व संस्कृतियों का दिव्य संगम

प्रयागराज महाकुंभ में आध्यात्मिक चेतना और वैश्विक समरसता का अद्भुत संदेश

उत्तर प्रदेश महाकुंभ नगर प्रयागराज के महाकुंभ क्षेत्र में शुक्रवार को इंडिया फाउंडेशन द्वारा विकास और स्थिरता पर कुंभ वैश्विक शिखर सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. राम माधव और उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने मुख्य अतिथि के रूप में सहभागिता की।

कुंभ वैश्विक शिखर सम्मेलन 2025 के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास जैसे विषयों पर विस्तृत विमर्श हुआ। राम माधव ने भारतीय ज्ञान परंपरा को रेखांकित करते हुए इस सम्मेलन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस आयोजन को पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा के लिए एक वैकल्पिक वैश्विक मंच के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश भी साझा किया।

औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने इंडिया फाउंडेशन द्वारा देश में युवा विचारकों के एक सशक्त समूह (यूथ थिंक टैंक) के निर्माण के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह कार्य राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं को न केवल राष्ट्रीय मुद्दों की गहरी समझ होनी चाहिए, बल्कि उन्हें उनके वैश्विक प्रभावों की भी जानकारी होनी चाहिए।

मंत्री नंदी ने भारतीय सनातन संस्कृति के मूल दर्शन वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवन्तु सुखिन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भावना ही भारत को विश्व गुरु बनाती है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में जितने उत्साह के साथ भारतीय श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं, उतनी ही श्रद्धा के साथ विदेशी मेहमान भी इस अद्वितीय आयोजन के साक्षी बन रहे हैं।

उन्होंने प्रयागराज के पावन त्रिवेणी संगम की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्थान तीर्थराज कहलाने का सच्चा अधिकारी है। गोस्वामी तुलसीदास के शब्दों को कहि सके प्रयाग प्रभाउ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि महाकुंभ के माध्यम से संपूर्ण विश्व प्रयाग की आध्यात्मिक चेतना और दिव्यता का अनुभव कर रहा है।

महाकुंभ केवल गंगा, यमुना और सरस्वती की नदियों का संगम भर नहीं है, बल्कि यह विश्व की तमाम संस्कृतियों के मिलन का भी अवसर है। अलग-अलग देशों से आए श्रद्धालु भले ही विभिन्न भाषाएँ बोलते हों, उनके पहनावे अलग हों, लेकिन उनकी भावनाएँ एक समान हैं।

मंत्री नंदी ने कहा कि इंग्लिश, फ्रेंच, जर्मन बोलने वाले श्रद्धालु भी ‘हर-हर गंगे’ और ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष के साथ इस आयोजन में सहभागिता कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संस्कृति वैश्विक समरसता और विश्व बंधुत्व की वास्तविक ब्रांड एंबेसडर है, और यह बात महाकुंभ में प्रमाणित हो रही है।

महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की समावेशी संस्कृति, आध्यात्मिक चेतना और वैश्विक दृष्टिकोण का जीवंत प्रमाण भी है। यहाँ आकर हर व्यक्ति भारतीय संस्कृति की गहराई और उसकी व्यापकता को आत्मसात कर रहा है। इस आयोजन से पूरे विश्व में भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक प्रभाव को नई पहचान मिल रही है।

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7k Network

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