डीएम ने घायल पत्रकार की मदद करने से किया इंकार तो प्रेस क्लब आया साथ
मीडियाकर्मियों ने मांगी थी मुख्यमंत्री राहत कोष से इलाज की मदद
सैकड़ो पत्रकारों ने डीएम को दिया ज्ञापन
हस्तिनापुर में पत्रकार रजनीश पर हुआ था जानलेवा हमला,
मेरठ: सरकार की हर छोटी बड़ी योजना और नीतियों को जनता तक पहुंचाने का काम मीडिया के द्वारा किया जाता है सरकार मीडिया के साथ संवाद और मीडिया कर्मियों के साथ अपने बेहतर संबंध बनाने के प्रयास में लगी रहती है लेकिन जब मीडिया कर्मियों पर कोई विपत्ति आती है तब वह हमेशा अकेला खड़ा हुआ दिखाई देता है इसका ताजा उदाहरण है हस्तिनापुर के रहने वाले एक पत्रकार रजनीश कर्णवाल।
रजनीश पर जब जानलेवा हमला हुआ तो डॉक्टरों ने उन्हें इलाज के नाम पर मोटा खर्चा बताया जिसके लिए शनिवार को मेरठ के संयुक्त मंच पत्रकार साथियों ने घायल पत्रकार की आर्थिक मदद करने के लिए डीएम को ज्ञापन सौंपा । डीएम कार्यालय पर नहीं मिले इसके बाद उनके आवास पर पत्रकार पहुंचे लेकिन वहां से भी मेरठ जिलाधिकारी तहसील दिवस के लिए निकल चुके थे डीएम से फोन पर मेरठ के वरिष्ठ प्रकार रवि शर्मा ने वार्ता की और सारा मामला बताया । इसके बाद डीएम ने सीधे शब्दों में कहा कि वह सिर्फ मान्यता प्राप्त पत्रकारों की मदद करने के लिए अधिकृत है अन्यथा वे इसमें पत्रकारों की कोई मदद नहीं कर सकते इसके बाद पत्रकारों में रोष उत्पन्न हो गया पत्रकारों का कहना था कि जब शहर में किसी के साथ कोई घटना घटती है एक्सीडेंट होता है कोई घायल होता है तो जिला प्रशासन उनकी मदद करता है मुआवजा देता है साथ ही साथ मुख्यमंत्री राहत कोष से भी बीमारी और घायलों की मदद की जाती है लेकिन डीएम साहब ने सीधे-सीधे पत्रकारों की मदद करने से मना कर दिया जबकि आम नागरिकों की मदद भी होती रहती है। पत्रकारों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब एक पत्रकार की मदद प्रशासन करने को तैयार नहीं है तो वह आम आदमी की क्या मदद करता होगा ।नाराज पत्रकारों ने नारेबाजी की और कहा कि जिला प्रशासन ने पत्रकारों को बहुत कमजोर समझ रखा है। डीएम चाहे तो मुख्यमंत्री राहत कोष से भी पत्रकार की मदद कर सकते हैं लेकिन वह ऐसा ना करके इस विपत्ति की घड़ी में पत्रकार को अकेला छोड़ रहे हैं । जबकि पत्रकार जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।
पत्रकार हमेशा प्रशासन की खबरों को प्राथमिकता देता है लेकिन जब आज पत्रकारों को मेरठ के अधिकारियों की जरूरत पड़ी तो उन्होंने हाथ खींच लिया जिससे पत्रकारों में नाराजगी भी देखने को मिली । पत्रकारों का कहना था कि जब तक वह अपनी कलम का एहसास नहीं करते तब तक पत्रकार ऐसे ही घुट घुट कर मरता रहेगा और प्रशासन भी उन्हें सिर्फ खबरों तक इस्तेमाल करता रहेगा, इसके बाद पत्रकारों ने प्रेस क्लब में मीटिंग आयोजित की । संयुक्त पत्रकार मंच ने प्रेस क्लब में वरिष्ठ पत्रकार दिनेश चंद्र, रवि शर्मा, ग्रामीण अंचल पत्रकार एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष संजीव तोमर , हरेंद्र चौधरी, रामबाबू दुबे, शिव कुमार शर्मा, शाहवेज खान संजीव शर्मा के नेतृत्व में मीटिंग की जिसमें निर्णय लिया गया कि प्रशासन पत्रकारों के हित में खड़ा नहीं है और नहीं पत्रकारों की कोई मदद करेगा इसलिए अब पत्रकारों को ही आगे आना होगा सभी ने एक जुटता का परिचय दिखाते हुए निर्णय लिया कि सभी घायल पत्रकार रजनीश कर्णवाल की आर्थिक मदद करने के लिए सहयोग करेंगे ।
बताते चलें कि हस्तिनापुर से पत्रकारिता कर रहे हैं रजनीश कर्णवाल पर 2 दिन पहले एक ठेले वाले ने बर्फ काटने वाले सुए से वार किया था उस हमले में पेंचसक रजनीश की रीड की हड्डी के बराबर में जाकर घुस गया। आनन फानन में उन्हें मेरठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया गया। दिल्ली के अस्पतालों ने भी इसे टिपिकल कैस बताया कई अस्पतालों में घूमने के बाद वह फरीदाबाद के सर्वोदय अस्पताल में पहुंचे, 48 घंटे बीतने के बाद भी पेचकस रजनीश के कमर में गड़ा हुआ है डॉक्टर को आशंका है कि अगर पेंचकस बाहर निकाला तो पत्रकार रजनीश पैरालिसिस के शिकार हो सकते हैं ऐसे में दो दिन तक उनकी कमर में पेंचकस घुसा रहा । शनिवार की देर शाम उनका ऑपरेशन हुआ ।
इस घटना ने यह दिखाया कि जिला प्रशासन की नजर में पत्रकारों की क्या हैसियत है पत्रकारों को प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए तो अधिकारी बुलाते है, बड़ी-बड़ी खबरें पत्रकारों के जरिए लगवाते हैं और जब पत्रकार पर कोई विपत्ति आती है तो उसे मरने के लिए जिला प्रशासन किस तरीके से छोड़ देता है यह आज पत्रकारों ने अपनी आंखों से देख लिया है पत्रकारों ने भी जिला प्रशासन के इस रवैया पर नाराजगी जताई है । इस अवसर पर मुख्य रूप से के के शर्मा, अतुल महेश्वरी, अशोक सोम, जाकिर तुर्क, संदीप कुमार, विपिन कुमार——-उपस्थित रहे।
संवादाता मेरठ मवाना