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आलू की ये 6 किस्में हैं कमाल, अच्छी पैदावार ले सकते हैं किसान

किसान खरीफ सीजन में आलू की इन किस्मों की खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं जानिए इन किस्मों की खासियत..

भारत में आलू की खेती बहुतायत में की जाती है। भारत में आलू की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा एवं असम आदि राज्यों में की जाती है. आलू के उत्पादन में भारत का तीसरा स्थान है। किसी भी फसल के लिए एक अच्छी वेरायटी का होना बहुत ही जरुरी है जिससे किसानो को अच्छी पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा मिल सके. भारत में आलू की सबसे ज्यादा खेती उत्तर प्रदेश की जाती है। खरीफ सीजन शुरू हो चुका है ऐसे में किसान आगर आलू की किस्म का सही चयन करके खेती करेंगे तो उन्हें अच्छा लाभ मिल सकता हैं। आलू में पौटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, आयरन और सोडियम जैसे तत्व होते हैं। भोजन के अलावा कई उद्योगों में आलू का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। आलू की डिमांड बाज़ार में हमेशा बनी रहती है. इसे ध्यान में रखते हुए किसान इसकी खेती से मोटी कमाई भी कर सकते हैं।

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किसानों को अच्छा पैदावार मिले इसलिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने आलू की 10 उन्नत किस्मों को विकसित किया है. इन किस्मों से आलू की खेती कर किसान अधिक उपज के साथ-साथ अधिक मुनाफ भी ले सकते हैं. जानिए की उन किस्मों की क्या है खासियत

कुफरी अलंकार-

यह आलू की उन्नत किस्म माना जाता है इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है. इस किस्म के आलू की फसल 70 दिनों में ही तैयार हो जाती है. उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में इसकी पैदावार अच्छी होती है।

कुफरी थार-

यह वेरायटी भारत के उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं छत्तीसगढ़ प्रदेशों में पैदावार की जाती है. इस किस्म से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है. आलू की यह किस्म की खेती पहाड़ों एवं गंगा तट के किनारे पाए जाने वाले मैदानी क्षेत्र में अच्छी होती है।

कुफरी चंद्रमुखी

इस किस्म के आलू के पौधे का तना लाल-भूरे रंग के धब्बे के साथ हरा होता है. फसल तैयार होने में 80 से 90 दिनों का समय लगता है. प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार 200 से 250 क्विंटल है. उत्तर भारत के मैदानी और पठारी इलाके इसकी खेती के लिए अच्छे हैं।

कुफरी गंगा

आलू की इस किस्म से 350 – 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होती है. आलू की यह किस्म 80– 90 दिन में पककर पूरी तरह तैयार हो जाती है. वहीं आलू की यह किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले अच्छा पैदावार देती है।

कुफरी संगम 

आलू की यह किस्म उत्तर प्रदेश , राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब राज्यों में की जाती है. इस किस्म की खासियत यह है कि यह बहुत पौष्टिक होने के साथ – साथ स्वादिष्ट भी होती है. आलू की यह किस्म लगभग 100 दिनों में तैयार हो जाती है।

कुफरी नीलकंठ 

एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर यह बेहतरीन किस्म का आलू है, जो ज़्यादा ठंड के मौसम को भी बर्दाशत कर सकता है. इसकी उत्पादन क्षमता अन्य किस्मों से अधिक है और 90 से 100 दिनों में फसल तैयार होती है. स्वाद में भी यह आलू बहुत अच्छा होता है। प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादन क्षमता 350-400 क्विंटल है‌। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए यह किस्म अच्छी है।

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