धूप छांव…..
जीवन में धूप और छांव
आते जाते रहते हैं
दिन रात जैसे बदलते हैं
वैसे ही धूप और छांव भी
धूप न ज्यादा देर तक टिकी है
ना ही छांव
इसी का नाम जीवन है
निरंतर चलते रहना ही जीवन उद्देश्य है
यदि रुक गए तो वह जीवन ही नही
कार्य जब तक पूर्ण ना हो
तब तक थकान का अनुभव गलत है।
थकान उसे ही होती है जिसे जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा नहीं होती।
उस मनुष्य को थकान का अनुभव तक नहीं होता
जो अपने लक्ष्य को देखता है।
लक्ष्य जितना बड़ा होगा
उतना ही ज्यादा प्रयत्न भी।
अपने लक्ष्य को निर्धारित करो और उस तक हर हाल में पहुंचो।
विजय तुम्हारी ही होगी।
आयशा अल ग़जल
सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश
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