स्त्री के पूरे जीवन चक्र को मां दुर्गा के 9 रूपों से समझा जा सकता है
कलश स्थापना प्रातः काल से लेकर मध्यान्ह 12-30 तक का समय उत्तम रहेगा इसमें भी 11-45 से लेकर 12-30 तक अभिजीत मुहूर्त अति उत्तम रहेगा
पूरे भारत में शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर रविवार को शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहा है मां दुर्गा इस बार हांथी पर सवार होकर आ रहीं है। इसलिए इस बार वर्षा अधिक होने का अनुमान है।
कलश स्थापना प्रातः काल से लेकर मध्यान्ह 12-30 तक का समय उत्तम रहेगा इसमें भी 11-45 से लेकर 12-30 तक अभिजीत मुहूर्त अति उत्तम रहेगा।
वैसे मां दुर्गा की आराधना नौ दिन तो सभी करते हैं और बाद में उसी मां रुपी औरत पर अत्याचार करते हैं।
क्या आपने कभी सोचा कि एक स्त्री के पूरे जीवन चक्र को मां दुर्गा के 9 रूपों से समझा जा सकता है नवदुर्गा के नौ स्वरूपों के माध्यम से एक स्त्री का संपूर्ण जीवन प्रतिबिंबित होता है।
जब एक कन्या जन्म लेती तो वह शैलपुत्री’ का स्वरूप होती है यह उसका पहला रूप है।
उसके बाद कौमार्य अवस्था तक जब वह रहती है तब ब्रह्मचारिणी’ का रूप होती है। यह उसका दूसरा रूप है।
विवाह से पूर्व तक जब वह यौवन रुप में चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह ‘चंद्रघंटा’ समान होती है यह उस मां का तीसरा रुप है।
नए जीवन में प्रवेश कर नये जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह ‘कूष्मांडा’ स्वरूप में है। यह उसका चौथा रुप है।
संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री स्कन्दमाता हो जाती है। यह उसका पांचवां रुप है।
संयम व साधना को धारण करने और जीवन को संयमित करने वाली स्त्री ‘कात्यायनी’ रूप है। यह उसका छठा रुप है।
अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने के लिए तमाम तरह के व्रत और संसार से भी लड़ जाने वाली वह ‘कालरात्रि’ जैसी हो जाती है। यह उसका सातवां रुप है।
संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने से ‘महागौरी’ हो जाती है। यह उसका आठवां रुप है।
धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार में अपनी संतान को सिद्धि(समस्त सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली ‘सिद्धिदात्री’ हो जाती है। यही उसका नवांरुप है।
मित्रों अगर आप अपने घर में बेटी पत्नी और मां को समय-समय पर इन नव रुपों को देखेंगे। तो आप के घर में प्रत्येक दिन नवरात्र ही होगी आपका शरीर स्वस्थ्य रहे आप दीर्घायु हों आपका जीवन मंगलमय हो माता रानी की कृपा अनवरत आप पर बनी रहे।
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