आदर्श रामलीला कमेटी कोनिया मण्डल तुलसी कला की ओर से चल रही रामलीला के पांचवें दिन कलाकारों के राम वन गमन, भरत मिलाप के सजीव मंचन ने दर्शकों को भावुक कर दिया।
राम दरबार के झांकी की आरती उतार कर, प्रार्थना,सुमिरन कर लीला की शुरूआत हुई।
राम लीला में राजा दशरथ, गुरु वशिष्ठ के परामर्श पर राम को राजा बनाने की घोषणा करते हैं। जिससे रानी कैकेयी की दासी मंथरा कुपित होकर रानी के कान भरती है। कैकेयी उसकी बातों में आकर कोप भवन में जाती हैं, जहां राजा दशरथ को रानी ने अपने दो वचन याद दिलाती हैं और दोनों वर मांगते हुए कहती हैं कि उनके पुत्र भरत को राजगद्दी और राम को 14 वर्ष वनवास भेजा जाए। कैकेई की बात सुन महाराज दशरथ अचेत हो जाते हैं। होश में आने पर राम को संदेशा भिजवाते हैं। आने पर राम को वनवास की बात पता चलती है। पिता की आज्ञा पाकर राम लक्ष्मण व सीता वन पथ पर प्रस्थान करते हैं। वन पथ पर राम को जाता देख अयोध्या की प्रजा उनके साथ हो लेती है रास्ते में वह प्रजा को बिना बताए प्रस्थान कर जाते हैं। राम के वनगमन के बाद राजा दशरथ प्राण का त्याग करते हैं।
भरत को उनके ननिहाल से बुलाया जाता है। अयोध्या आने के उपरांत उन्हें घटना क्रम की जानकारी होती है, जिससे कुपित होकर भरत अपनी माता कैकेयी से नाराज होते हैं। इधर पिता का कर्मकांड कर भरत राम को वन से लौटाने के लिये वन प्रस्थान करते हैं,जहां राम भरत का मिलन होता है। काफी मनाने के बाद जब राम नहीं मानते तब राम की चरण पादुका सिर पर रख कर भरत वापस अयोध्या पहुंचते हैं। इधर राम चित्रकूट से पंचवटी के लिये प्रस्थान करते हैं।
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