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10 रुपए के स्टांप के दम पर महिला को किया बेघर 

एसडीएम के नाम पर दो लाख लेकर महिला को दूसरी जमीन पर घर बनवाने का नायब तहसीलदार बना रहे है दबाव

दुःख की मारी दुखिया देवी महीने भर से महुए के पेड़ के नीचे कर रही है गुजर अधिकारी नहीं दिला सके गरीब मोहताज महिला को दबंगों से कब्जा।

उत्तर प्रदेश कौशाम्बी लोग कहते है कि कानून भी बिकता है और गुंडे अपराधी दबंग पाले जाते हैं गरीब मजलूमों का शोषण भी होता है न्याय की लोग भीख मांगते हैं लेकिन न्याय नहीं मिल पाता है अधिकारियों की सरपरस्ती सर चढ़कर बोलता है आखिर कानून कहां गिरवी हो गया है जिस तरह से गरीब कमजोर मजलूम लोगों पर अत्याचार हो रहा है कानून न्याय का योगी सरकार में पता ही नहीं चल रहा है गरीब अपनी संपत्ति बचाने को विवश दिखाई पड़ रहे हैं खुलेआम गरीबों की जमीन छीनी जा रही है बिना किसी अभिलेख के गुंडे जमीन छीनकर काबिज हो रहे हैं जिनके पास जमीन के अभिलेख नहीं है उन्हें सरकारी मशीनरी द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है और जिनके पास अभिलेख है वह योगी राज में न्याय पाने के लिए दर दर की ठोकर खा रहे हैं माननीय बड़ी-बड़ी बातें मंच और माइक के माध्यम से कर रहे हैं।

लेकिन हकीकत में योगी सरकार में कौशाम्बी में कानून पूरी तरह से नेताओ के चलते गिरवी हो गया है गरीब कमजोर न्याय के लिए तरसता दिखाई पड़ रहा है गुंडे और माफिया जुल्म ज्यादती अत्याचार कर अधिकारियों और नेताओं के आगे पीछे जी हुजूरी करते देखे जाते हैं जिससे आम जनता लाचार और विवश दिखाई पड़ रही है ताजा मामला सिराथू तहसील क्षेत्र के मालक पिंजरी ग्राम सभा के मजरा चकिया की दुखिया देवी का देखने को मिला है दुखिया देवी की दुख भरी कहानी सुनकर लोगों के चेहरे में दुख प्रकट होने लगेंगे लेकिन कानून के रखवाले इन अधिकारियों को दुखिया देवी के दुख से कोई मतलब नहीं रह गया है।

दुखिया देवी का पति उदयभान 6 वर्ष पूर्व पड़ोस की एक महिला को लेकर दिल्ली जाकर रहने लगा है तब से दुखिया देवी गांव में अपने घर में बच्चों के साथ रह रही है पहली मुसीबत तो उसके सामने बच्चों के पेट पालने का था लेकिन किसी तरह उसने अपने परिवार की रोजी-रोटी संभाल ली जिस घर में वह पति के साथ रह रही थी इसी घर को गांव के दबंग मोहन सिंह पुत्र झल्लर व उनके लड़कों ने साजिश रच कर कब्जा करने की सोच ली कॉलोनी दिलाने के नाम पर दुखिया देवी से 10 रुपए की स्टांप पर अंगूठा लगवा लिया और बाद में जबरिया पुलिसिया बल पर मकान को खाली कर लिया दुखिया देवी बेघर हो गई महिला रोती चिल्लाती रही गिड़गिड़ाती रही पांव पकड़ कर भीख मांगती रही लेकिन गुंडे से लेकर पुलिस तक का दिल नहीं पसीजा मकान खाली करने वालों के पास जमीन के पंजीकृत बैनामा नहीं है फिर भी पुलिस दबंग को जमीन का मालिक मानकर उसका साथ दे रही है आखिर बिना पंजीकृत बैनामा के दबंग कैसे दुखिया देवी की जमीन के मालिक हो गए इस बात को तहसील के अधिकारियों को और पुलिस को कौन बताएगा कि बिना पंजीकृत बैनामा के दूसरे की संपत्ति के मालिक नहीं बना जा सकता लेकिन पुलिस और राजस्व इस बात को नहीं मान रही है इसी बीच जब मामला अधिकारियों के चौखट पर पहुंचा तो नायब तहसीलदार काफी दिनों तक तमाम ड्रामे बाजी करने के बाद दुखिया देवी को दूसरी जमीन पर घर बनवाने का दबाव देने लगे हैं लेकिन उसका मूल घर उसके कब्जे में देकर कानून का पालन करने के लिए नायब तहसीलदार और उप जिलाधिकारी तैयार नहीं है यह कैसा न्याय है अत्याचार अपराध करने वालों को शरण दिया जाए उनके अपराध पर दंड न दिया जाए कमजोर मजलूम पीड़ित को आर्थिक लाभ देने का झांसा देकर उसकी जबान बंद करने का प्रयास किया जाए।

आखिर बिना पंजीकृत बैनामा के यदि दुखिया देवी का मकान जबरिया खाली करा लिया गया है तो गुंडो के खिलाफ मुकदमा लिखा जाए उनको जेल भेजा जाए और दुखिया देवी के घर पर उसे पुनः वापस काबिज कराया जाए लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है इसी बीच नायब तहसीलदार पर 2 लाख वसूलने का भी आरोप लगा है लेकिन इसके बाद भी आला अधिकारी इस मामले को गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं आखिर कैसे योगी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त कानून का पालन कौशांबी में होगा दुखिया देवी के दुख को लेकर अभी तक किसी भी नेता ने उसकी मदद करने के लिए हाथ नहीं बढ़ाया है जिससे नेताओं के आम जनता के प्रति आस्था और लगाव का अंदाजा लगाया जा सकता है।

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