1964 में भारत सरकार द्वारा हस्तिनापुर में बसाए गए शरणार्थियों बंगाली परिवार ने अपने जाति प्रमाण पत्र बनवाने व मलिकाना हक़ पाने को लेकर उपजिलाधिकारी मवाना को ज्ञापन सौंपा।
जिसमें बंगाली समाज के जिला अध्यक्ष भगत राय ने बताया केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा हस्तिनापुर में आकर बसे बंगाली समाज के लोगों को 650 टीन सेट एवं 60 पक्के मकान न्यू ब्लॉक कॉलोनी, बी ब्लॉक कॉलोनी ,जे ब्लॉक शकुंतला कॉलोनी आदि स्थानों पर जीवन यापन के लिए दिए गए थे हस्तिनापुर क्षेत्र में रोजगार के लिए केवल एक सूत मील स्थापित था । जिसमें बंगाली समाज के लोग रोजगार पाकर अपना जीवन यापन कर रहे थे। लेकिन किसी कारण वंश 1984 में सूत मील बंद होने के कारण बंगाली समाज के परिवार के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया जिसके कारण आय का कोई स्रोत नहीं मिला । बंगाली समाज मछली व्यापार पर अधिक उत्तरदायित्व रहता है लेकिन वन सेंचुरी क्षेत्र होने के कारण मछली व्यापार में भी आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। उन्होंने बताया अधिकतर हस्तिनापुर क्षेत्र में बसाए गए बंगाली समाज के लोग अनुसूचित जाति में आते हैं लेकिन 2005 तक जाति प्रमाण पत्र जारी किए गए इसके पश्चात बंगाली समाज के अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र बनानें बंद कर दिए गए जिसके कारण उन्हें किसी प्रकार आरक्षण नहीं मिल पाता है जिसके कारण उन्हें काफी समस्या का सामना करना पड़ा । वही बंगाली समाज के लोगों का कहना है कुछ लोगों को यहां से विस्थापित होकर बदायूं में पहुंच गए जहां उनका जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया लेकिन हस्तिनापुर में रह रहे बंगाली समाज का अभी तक जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है, इसके साथ-साथ बंगाली समाज की महिलाओं ने भी बिजली विभाग के खिलाफ विज्ञापन दिया हस्तिनापुर बिजली विभाग द्वारा बिना किसी सूचना के 1 किलोवाट का कनेक्शन 2 किलोवाट में कन्वर्ट कर दिया है जिसके कारण हम बंगाली समाज का अधिक बिल दिया जा रहा है।
संवाददाता प्रिंस रस्तोगी
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