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सपा के देवेंद्र सिंह यादव के बेहद करीबी ने भाजपा का दामन थामा

समाजवादी पार्टी के देवेंद्र सिंह यादव नेता जी के बेहद करीबी ने भाजपा का दामन थामा 

लखनऊ– भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की उपस्थिति में मुलायम सिंह के बेहद करीबी माने जाने वाले देवेंद्र सिंह यादव ने भाजपा ज्वाइन की है। देवेंद्र सिंह यादव के भाजपा में शामिल होने के बाद इस पर समाजवादी पार्टी ने प्रतिक्रिया दी है। देवेंद्र सिंह यादव की भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के दौरान वहां उपस्थित एटा के सांसद एवं तीसरी बार एटा लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी राजवीर सिंह ने कहा कि ये पार्टी का फैसला है जो सभी को मान्य है। उन्होंने कहा कि देवेंद्र सिंह यादव के भारतीय जनता पार्टी में आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी।

देवेंद्र सिंह यादव के भाजपा में जाने के बाद सपा ने उन पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता उदय वीर सिंह ने कहा कि जितने भी लोगों को ईडी और सीबीआई से डर लग रहा है, वो भाजपा ज्वाइन कर ले रहे है। सपा प्रवक्ता उदय वीर सिंह ने आगे ने कहा कि, न ये लोग मन से ज्वाइन कर रहे हैं और न ही इनके पीछे समर्थन में खडे होने वाले ही इस निर्णय से सहमत है। उन्होंने कहा कि ये डर और भय के कारण भाजपा में जा रहे हैं। जानता किसी से नहीं डरती वो अपना निर्णय लेगी।

सपा नेता देवेंद्र सिंह यादव ने कांग्रेस पार्टी से अपनी राजनीति पारी की शुरूआत की थी। इसके बाद जब समाजवादी पार्टी का गठन हुआ तो वे सपा में शामिल हो गए। राजनीतिक पारी की शुरूआत करते हुए सबसे पहले देवेंद्र सिंह यादव सोरों विकास खंड से ब्लाक प्रमुख चुने गए। साल 1989 और 1996 में पटियाली से विधायक बने। इसके बाद लोकसभा चुनाव आया तो उन्होंने विधानसभा से त्याग पत्र दे दिया और साल 1999 में उन्होंने एटा लोकसभा सीट से सपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए। साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से जीत दर्ज की। वर्ष 2009 में एटा से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने चुनाव लड़ा था। उस समय वे समाजवादी पार्टी से नाराज होकर देवेंद्र बहुजन समाज पार्टी में चले गए और एटा लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हे हार का सामना करना पड़ा। बाद में फिर से देवेंद्र सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी में वापसी की, और सक्रिय राजनीति में उनकी भागीदारी रही। स्थानीय सपा नेताओं में वे अग्रिम पंक्ति में शामिल रहे। उन्हें कासगंज जिले का सपा का अध्यक्ष भी बनाया गया। बाद में उन्हें हटा दिया गया।

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