प्रधानमंत्री आवास पर अभी आंदोलनकारियों का कब्जा है सेना ने हुकूमत हाथ में लेने का ऐलान
बांग्लादेश में आरक्षण पिछले कई सालों से एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। 2018 में इस मुद्दे पर हुए आंदोलन के बाद सरकार को आरक्षण व्यवस्था को कम करना पड़ा और कुछ पदों के लिए कोटा रद्द करना पड़ा छात्र आरक्षण प्रणाली से नाराज हैं ढाका ढह गया तख्ता पलट गया सेना ने सत्ता पर कंट्रोल कर लिया प्रधान मंत्री शेख हसीना का साम्राज्य ढह गया वो कहीं अज्ञात स्थान पर चली गई हैं प्रधानमंत्री आवास पर आंदोलनकारियों का कब्जा है सीमा ने हुकूमत हाथ में लेने का ऐलान कर्म बाकी है ढाका की सड़कों पर लोग ही लोग हैं अराजकता चरम पर है।
भारत सरकार सावधान है बीएसएफ को अलर्ट पर किया गया शेख हसीना कहां है अभी कोई जानकारी नहीं लेकिन लंबे समय से चला आ रहा आंदोलन शेख हसीना की रुसवाई वाली विदाई के साथ अभी भी जारी है।
बांग्लादेश में आरक्षण पिछले कई सालों से एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। 2018 में इस मुद्दे पर हुए आंदोलन के बाद सरकार को आरक्षण व्यवस्था को कम करना पड़ा और कुछ पदों के लिए कोटा रद्द करना पड़ा छात्र आरक्षण प्रणाली से नाराज हैं, जिसके तहत बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के परिवारों के लिए 30% सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं।शेख हसीना सरकार ने न्यायिक सुनवाई का हवाला देकर प्रदर्शनकारियो की मांगे मानने से मना कर दिया था।
बांग्लादेश में आरक्षण पिछले कई सालों से एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। 2018 में इस मुद्दे पर हुए आंदोलन के बाद सरकार को आरक्षण व्यवस्था को कम करना पड़ा और कुछ पदों के लिए कोटा रद्द करना पड़ा नवीनतम अशांति उच्च न्यायालय के एक आदेश से उत्पन्न हुई, जिसमें सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 प्रतिशत कोटा रद्द करने वाले 2018 के सरकारी परिपत्र को अवैध घोषित कर दिया गया था इस आदेश को देश की सर्वोच्च अदालत ने रद्द कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया कि 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियां योग्यता के आधार पर आवंटित की जानी चाहिए और शेष स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित होनी चाहिए। लेकिन शीर्ष अदालत का आदेश भी प्रदर्शनकारियों को शांत नहीं कर सका।
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