“हिंदी आत्मा की भाषा है!”
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हिन्दी ‘आत्मा’ की भाषा है…,
हिन्दी ‘संस्कारों’ की परिभाषा है!
‘ हिन्दी’ उठना बैठना घूमना है,
मन के भावों का मचलना है।
हिन्दी हंसना बोलना बतियाना है
दु:ख में फूट-फूट आंसू बहाना है।
‘हिन्दी’ बात-बात पर लोगों का,
हंसी के फव्वारे छोड़ जाना है !
‘हिन्दी’अमीरी- गरीबी दास्तां है,
हंसी-खुशी का गुलदस्ता भी है !
‘हिन्दी’ रमई काका की बोली है,
चाचा- चाची की मुंहबोली है..!
हिन्दी’ रिंकू टिंकू माथे क रोली है,
शबनम खुशबू की हमजोली है।
हिन्दी दुपहरी की शीतल बातें है, सावन भादों की रिमझिम रातें !
हिन्दी छंद मुहावरा पर्यायवाची है
समास अलंकार रस मदमाती है।
हिन्दी व्यंग्य सुधा तीखी बातें है,
संयोग- वियोग, मुस्कान घातें है।
‘हिन्दी’ महादेवी मीरा की पीर है, रसखान तुलसीदास की खीर है।
‘हिन्दी’ बोली में रस- घोलती है,
मन में छिपी भावना खोलती है।
हिन्दी’ गली मोहल्ले की भाषा है,
‘हिन्दी’ आत्मा की परिभाषा है।
–शैलेन्द्र कुमार मिश्र
पूर्व प्रधानाचार्य व प्रबंधन सदस्य
‘तुलसी देवी करुणापति स्मारक बालिका इं०कालेज’, तरती, होलागढ़, सोरांव, प्रयागराज
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