पशुपालकों के लिए बड़ी सुविधा: घर पहुंचकर मिलेगी पशु चिकित्सा सेवा
पशुपालकों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने पशुधन संजीवनी हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर 1962 शुरू किया है। यह एक राज्य स्तरीय कॉल सेंटर है, जिसके माध्यम से पशुपालक अपने पशुओं के इलाज, कृत्रिम गर्भाधान, टीकाकरण, बधियाकरण और अन्य सेवाओं का लाभ घर बैठे ले सकेंगे।
कॉल सेंटर पर सूचना मिलने के बाद संबंधित पशु चिकित्सक को 5 से 12 घंटे के भीतर मौके पर पहुंचकर सेवा प्रदान करनी होगी। पशुओं के रोगों को उनकी गंभीरता के आधार पर चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है—सुपर एल-1 (5 घंटे में), एल-1 (8 घंटे में), एल-2 (12 घंटे में), और एल-3 (72 घंटे में)। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में स्टाफ की कमी और चिकित्सा सेवाओं की अनियमितता से जूझ रहे पशुपालकों को बड़ी राहत मिलेगी।
योजना के तहत कृत्रिम गर्भाधान की मांग पर फ्रोजन सीमेन की उपलब्ध नस्ल और उसके दुग्ध उत्पादन की जानकारी भी पशुपालकों को दी जाएगी। इसके साथ ही, पशुओं के लिए कृमिनाशक दवाएं और अन्य विभागीय योजनाओं की जानकारी भी प्रदान की जाएगी।
जल्द ही पशुधन आधार पंजीयन योजना लागू की जाएगी, जिसके तहत हर पशु को आधार नंबर दिया जाएगा। इससे पशुपालक केवल आधार नंबर देकर अपने पशु की संपूर्ण जानकारी कॉल सेंटर को प्रदान कर सकेंगे।
जिले में करीब साढ़े पांच लाख दुधारू पशु हैं, जिनमें ढाई लाख गौवंश शामिल हैं। लेकिन पशु चिकित्सालयों में स्टाफ की कमी के कारण ग्रामीणों को इलाज में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अब कॉल सेंटर की शुरुआत से यह समस्या काफी हद तक हल हो सकेगी।
पशुपालन विभाग की इस पहल से न केवल पशुओं के इलाज में तेजी आएगी, बल्कि क्षेत्रीय पशुपालकों को भी बड़ी राहत मिलेगी।
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