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प्रयागराज में बिना ओपन हार्टसर्जरी वॉल्व बदला

प्रयागराज: नसों के माध्यम से हृदय में ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (TAVR) संभव हो गया है। यह कमाल कर दिखाया है महानिदेशक सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के पद से सेवानिवृत्त डॉ. अनूप बनर्जी की टीम ने। बुधवार को 70 वर्ष की हीरामनी देवी का सफल ऑपरेशन किया गया और एक दिन में ही उनकी छुट्टी कर दी गई। ओपन हार्ट सर्जरी के कॉम्प्लीकेशंस से भी मरीज बचा और खर्च भी 50 परसेंट कम लगा।

प्रयागराज में कार्डियोलॉजी में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ी सफलता

डॉ. अनूप बनर्जी ने बताया कि व्यक्ति के हृदय में कुल 4 वॉल्व होते हैं। अगर इनमें कुछ गड़बड़ी हो जाती थी। सिकुड़ जाते थे या ढीले हो जाते थे तो ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ती थी। इसे सर्जिकल वॉल्व रीप्लेसमेंट कहते थे। इसके अपने कॉम्प्लीकेशंस होते हैं। इन्फेक्शन का डर, नार्मल लाइफ होने में महीनों लग जाते थे। खून को पतला करने की दवा और खून की जांच करवनी पड़ती थी। अब विश्व के साथ ही साथ देश में हृदय रोग के इलाज में एक नई विधा पर रिसर्च हुआ है। अभी तक देश में यह विधा जिसे ट्रांस कैथेटर वॉल्व रीप्लेसमेंट कहते हैं केवल बड़े शहरों मे उपलब्ध थी। अब प्रयागराज में भी ट्रांस कैथेटर वॉल्व रीप्लेसमेंट कम खर्च में होने लगा है। बुधवार को एक पेशेंट का हमने इसी विधि से वॉल्व रीप्लेसमेंट किया है।

बिना ओपन हार्ट सर्जरी बदल दिया वॉल्व

अभी तक इस तरह के ऑपरेशन कराने के लिए मरीज और उसके तीमारदारों को बड़ी शहरों की ओर रुख करना पड़ता था। समय के अलावा इसमें कई लाख रुपए ऐक्स्ट्रा खर्च हो जाते थे। अब बिना ओपन सर्चरी के वॉल्व बदला गया है। इसमें समय भी कम लगा और मरीज को केवल एक दिन के हॉस्पिटलाइजेशन में छुट्‌टी कर दी गई।

जो वॉल्व लगाया गया वह अगर दोबारा सिकुड़ जाता है तो बिना ओपन हार्ट सर्जरी के ट्रांस कैथेटर इयोटिक वाल्व को बदला जा सकता है।

जिन मरीजों में अन्य कोई गंभीर बीमारी है तो ऐसे मरीजों में कैथेटर वॉल्व रीप्लेसमेंट काफी बेहतर परिणाम देने वाला है। जब अन्य रोगों से गंभीर मरीजों की ओपन हार्ट सर्जरी होती है तो वे हाई रिस्क पर होते हैं। उन्हें ऐसे मरीजों की तुलना में इन्फेक्शन का खतरा अधिक रहता है। कैथेटर वॉल्व रीप्लेसमेंट में इस तरह गंभीर मरीजों में भी पैर की नसों के सहारे कैथेटर की मदद से वॉल्व रीप्लेसमेंट हो जाता है। इस तरह के ऑपरेशन के बाद 24 घंटे में ही मरीज की छुट्‌टी हो जाती है। इसके बाद वह अपने नॉर्मल रूटीन में लौट सकता है। ओपन हार्ट सर्जरी से वॉल्व लगाने या बदलने की प्रक्रिया में मरीज को 15 दिन तक हम हिलने भी नहीं देते। NICU में रखा जाता है, ताकि उसको कोई इन्फेक्शन न लग जाए।

ओपन हार्ट की अपेक्षा 50% खर्च कम पड़ता है

जब कैथेटर वॉल्व देश में लगना शुरू हुआ था उसकी तुलना में अब 50 परसेंट की कमी आई है। अब मेक इन इंडिया के तहत ये कृत्रिम वाल्व अब भारत में ही बन रहे हैं। ऐसे में 50 परसेंट सस्ते होते हैं। अमूमन हम 65 साल से ज्यादा उम्र वालों को ही कैथेटर के थ्रू वॉल्व बदलते हैं या उसे रीप्लेस करते हैं। इस प्रक्रिया में वॉल्व 10 साल तक चलता है। ओपेन हार्ट सर्जरी से वॉल्व लगाने से इसकी लाइफ 20 वर्ष है।

हम कम उम्र के लोगों को कैथेटर के के माध्यम से पैर की नसों से वॉल्व नहीं बदलते, बल्कि ओपन हार्ट सर्जरी करते हैं।

हार्टलाइन और यूनाइटेड मेडिसिटी में अपनी सेवाएं दे रहे डॉ. अनूप बनर्जी, महानिदेशक सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद जुलाई 2021 में अपने गृह नगर प्रयागराज वापस आ गए हैं। डॉ. अनूप बनजी एमडी (मेडिसिन), डीएम (कार्डियोलॉजी) हैं और इंटरनॅशनल कार्डियोलॉजिस्ट हैं। तब से उनका एकमात्र उद्देश्य इस शहर में विशेष रूप से कार्डियोलॉजी में स्वास्थ्य सेवा के स्तर को ऊपर ले जाना रहा है। अगला स्तर। इससे दीर्घावधि में किसी भी कारण के हृदय रोग के रोगियों को गुणवत्तापूर्ण और साक्ष्य आधारित प्रबंधन प्रदान करने में मदद मिलेगी। कैथेटर वॉल्व की सुविधा प्रयागराज में शुरू होने से डॉक्टर समुदाय के प्रति इस शहर के रोगियों का विश्वास भी बढ़ेगा। उनके उद्देश्य में इस शहर के मरीजों का विश्वास बढ़ाना भी शामिल हैं, ताकि हृदय रोग के प्रबंधन के लिए रोगियों को दूसरे शहरों में ले जाने की आवश्यकता कम से कम हो। जिससे रोगियों की संबंधित वित्तीय, मानसिक, शारीरिक और प्रशासनिक समस्याएं कम हो सकती है

सेना में 30 साल का है चिकित्सकीय अनुभव

डॉ. अनूप बनर्जी ने कार्डियोलॉजी के अपने लगभग 30 साल के अनुभव के बल पर अपनी टीम के साथ यह बड़ा ऑपरेशन किया है। वे आर्टिलरी ब्लोकेज को खोलने में माहिर हैं। ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) द्वारा गंभीर महाधमनी स्टेनोसिस का गैर सर्जिकल प्रबंधन बुधवार को किया गया और मरीज को अगले दिन छुट्टी दे दी गईञ डॉ. बनर्जी कहते हैं कि यह साधारण बात नहीं है। यह एक ऐतिहासिक घटना रही है, जिसे पहली बार प्रयागराज शहर में किया गया है।

यह प्रक्रिया ओपन हार्ट प्रक्रिया से संबंधित सभी मुद्दों, यांत्रिक हृदय वाल्वों से संबंधित मुद्दों, लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने, रक्त को पतला करने वाली दवाओं के उपयोग, बार- बार रक्त परीक्षण और संक्रमण के डर से बचाता है।

रिपोर्टर विमल मिश्रा

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