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बेटे ने काम किया अच्छा, नतीजा मिला खराब

बेटे ने काम किया अच्छा, नतीजा मिला खराब

प्रभाकर के पिता पारस नाथ चौधरी ने अब सत्तारूढ़ बीजेपी के प्रति नाराजगी दिखाई है।

कहा कि लंबे समय से वे संघ और भाजपा के लिए काम करते रहे हैं। पर अब बीजेपी के खिलाफ ही रहेंगे। आसपास के इलाकों में बीजेपी को जीतने नहीं देंगे।

बरेली से हटाए गए एसएसपी प्रभाकर चौधरी के पिता एवं सेवानिवृत्त शिक्षक पारसनाथ चौधरी ने नाराजगी का इजहार किया है। कहा कि उनके बेटे ने काम अच्छा किया लेकिन नतीजा बुरा हुआ। 13 वर्ष की नौकरी में 18 बार स्थानांतरण झेलने वाले आईपीएस अफसर प्रभाकर चौधरी जिले के टांडा क्षेत्र के महमदपुर गांव के मूल निवासी हैं। बरेली में कांवड़ियों पर बल प्रयोग के बाद एसएसपी के पद से प्रभाकर चौधरी को हटाए जाने के बाद से सोशल मीडिया व अन्य संचार माध्यमों पर कड़ी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। मंगलवार को उनके पिता सेवानिवृत्त शिक्षक पारसनाथ चौधरी ने कहा कि बरेली में उनके बेटे ने साहसिक काम किया। कांवड़ियों के बीच कुछ लोग असलहे लेकर मौजूद थे।

बरेली में कांवड़ियों पर लाठीचार्ज के तीन घंटे बाद ही एसएसपी प्रभाकर चौधरी के तबादले से उनके पिता पारसनाथ बेहद नाराज हैं। बताते हैं कि 13 वर्ष की नौकरी में यह उनका 18वां ट्रांसफर है। इसी को लेकर प्रभाकर के पिता पारस नाथ चौधरी ने अब सत्तारूढ़ बीजेपी के प्रति नाराजगी दिखाई है। कहा कि लंबे समय से वे संघ और भाजपा के लिए काम करते रहे हैं। पर अब बीजेपी के खिलाफ ही रहेंगे। आसपास के इलाकों में बीजेपी को जीतने नहीं देंगे।

उन्होंने कहा कि उनकी ईमानदारी और किसी के दबाव में न झुकने पके कारण ही उनका ट्रांसफर होता रहता है। वो नेताओं से दूरी बनाकर रखते हैं। प्रभाकर उनकी बातों को नहीं सुनते क्योंकि नेता उनसे गलत काम करवाना चाहते हैं। जब प्रभाकर बीजेपी के नेताओं की बात नहीं सुनते तो वो उनसे नाराज हो जाते हैं। उन्हें ट्रांसफर की इतनी आदत पड़ गई है कि वो जिले में चार से छह महीने में खुद ही ऊब जाते हैं। उन्हें पता होता है कि उनका ट्रांसफर फिर से करवा दिया जाएगा. बरेली में कांवड़ियो पर लाठीचार्ज पर प्रभाकर के पिता ने कहा कि वहां उन्होंने अच्छा काम किया। अगर उस दिन जरा सी भी लापरवाही बरती जाती तो कई कांवड़िये जरूर मारे जाते। बोले कि मेरे बेटे ने बरेली में काम अच्छा किया लेकिन नतीजा बुरा मिला। अच्छे काम का उत्साहवर्धन करना चाहिए। आज मेरे बेटे के साथ कुछ लोगों को छोड़ सारा समाज खड़ा है।

पारसनाथ ने कहा कि मैं बरेली गया हूं। वहां के लोगों का व्यवहार अच्छा है। पढ़े लिखे लोग हैं। इसीलिए जब मेरे बेटे ने उन्हें समझाया तो वे जुलूस जाने देने को तैयार हो गए। हालांकि कांवड़ियाें की तरफ से उत्पात करने के चलते बल प्रयोग करना जरूरी हो गया था। कानून व्यवस्था का निर्णय मौके पर होता है। बंद कमरों में बैठकर नहीं। प्रभाकर के पिता ने कहा कि मैं लंबे समय से आरएसएस व भाजपा से जुड़ा रहा हूं। मेरे बेटे के साथ जो व्यवहार किया गया वह ठीक नहीं है। कहा कि अब सत्तारूढ़ दल का समर्थन नहीं करेंगे। कहा कि हमारे संस्कार खुद की प्रगति की बजाए समाज की सेवा व मदद करने के हैं।

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