चित्तापुर रामलीला का आयोजन राम जन्म, नारद मोहन और रावण तपस्या की लीला का हुआ मंचन
उत्तर प्रदेश कौशाम्बी जिले में सराय अकिल के चित्तापुर गांव में स्थानीय आदर्श रामलीला समिति के तत्वाधान में वर्षों पुरानी रामलीला का मंचन राम जन्म नारद मोह व रावण तपस्या की लीला के साथ गांव में अनेक वर्षों से गणेश चतुर्थी के बाद ही रामलीला का आयोजन शुरू किया जाता है। जिसमें इसी परंपरा के चलते नारद मोह, राम जन्मोत्सव की लीला के साथ इस वर्ष की राम लीला प्राम्भ की गई। जिसमें स्थानीय आदर्श रामलीला में कई जनपदों से आये कलाकारों के शानदार जीवंत अभिनय ने दर्शकों का दिल जीत लिया। वहीं लीला में राम जन्म की खुशी में श्रद्धालु झूम उठे।
भगवान ने तोड़ा नारद मुनि का घमंड
कौशाम्बी बीती रात रामलीला अध्यक्ष धुव्र कुमार द्विवेदी द्वारा विधि विधान वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ दीप प्रज्वलित कर राम लीला का शुभारंभ कर दिया। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष हरिश्चंद्र मिश्रा,मोती लाल विश्वकर्मा,शर्मा मिश्रा प्रभु नारायण मिश्रा राहुल द्विवेदी,अभिषेक मिश्रा, करुण मदान गणेश वंदना में शामिल हुए और स्थानीय रामलीला समिति ऐसे आयोजन के लिये समिति का प्रशंसा की जो भगवान राम के जीवन चरित्र को लोगों तक रामलीला के माध्यम से पंहुचा रहे हैं। इसके बाद रामलीला का मंचन शुरू हुआ, जिसमें देव ऋषि नारद की तपस्या करते हैं। इससे देवराज इंद्र का सिंहासन डोलने लगता है और वह कामदेव को बुलाकर नारद जी की तपस्या भंग करने भेजते हैं।भगवान कामदेव नृत्यांगना को ले जाकर उनकी तपस्या भंग करवाते हैं। जब नारद जी की तपस्या भंग नहीं होती तो उनको अपनी तपस्या का अभिमान हो जाता है। तब भगवान विष्णु नादर जी अभिमान तोड़ने के लिए लीला रचते हैं और मोहिनी रुप धारण कर उपहास उड़ाते हैं। जिससे नाराज होकर नारद जी भगवान को श्राप देते हैं, इसके बाद नारद जी भगवान की लीला समझ मे आती है।
आकाशवाणी से ऋषियों को आया चैन
कौशाम्बी धरती पर रावण और उनके अनुयायी राक्षसों के अत्याचार से घरती कांपने लगती हैं तब देव ऋषि आदि व्याकुल हो उठे ऋषियों ने भगवान से प्रार्थना की। तब आकाशवाणी हुई अयोध्या में राजा दशरथ के यहां भगवान राम के रूप में जन्म लेंगे। जो विष्णु भगवान के अवतार होंगे।
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