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23 मई को मनाई जाएगी बुद्ध पूर्णिमा

वैशाख शुक्ल पक्ष पीपल के पेड़के नीचे भगवान बुद्ध को आज ही पूर्णिमा क दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुए थी——— आगे विस्तार

लेखक नरेंद्र कुमार बौद्ध mo 9580694963

सिद्धार्थ गौतम का जन्म लुंबिनी वन में 563 ईसा पूर्व एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। सिद्धार्थ के पिता का नाम शुद्धोधन और माता का नाम महामाया देवी  । सिद्धार्थ गौतम जन्म देकर 7 दिन बाद उनका निधन हो गया । सिद्धार्थ गौतम का पालन पोषण की मां की छोटी बहन ने किया।   इन के बचपन का नाम सिद्धार्थ था । बचपन से ही सिद्धार्थ के अंदर करुणा त्याग की भावना काफी प्रचलित ।। सिद्धार्थ की शादी 16 वर्ष की आयु मैं यशोधरा के साथ हो गई थी।। सिद्धार्थ को सभी भाषा वेद पुराण आदि और सभी कलाओं में निपुण शास्त्र कला और तलवारबाजी युद्ध की सभी कलाओं में वह अच्छी तरह से निपुण थे।_____________एक समय जब सिद्धार्थ गौतम अपने सारथी के साथ अपने पूरे राज में घूमने के लिए गए उसे समय उन्हें प्रथम एक बूढ़ा आदमी दिखा उन्होंने सारथी से पूछा इसे क्या हुआ है तो सारथी ने जवाब में कहा एक दिन सभी को बूढ़ा होना सिद्धार्थ ने हमको भी होना तो जवाब में बोला आपको भी बूढ़ा होना है महाराज आगे चलते समय कुछ व्यक्ति एक मृत लाश ले जाते हुए देखिए तो सिद्धार्थ ने पूछा यह किसको ले जा रहे हैं तो सारथी ने कहा यह मृत लाश को जलाने के लिए जा रहे हैं तो सारथी ने कहा एक दिन सभी को मारना है आपको भी महाराज मृत्यु अटल सत्य है।।

सिद्धार्थ गौतम ने 29 वर्ष की आयु में रात्रि के समय एस और आराम की जिंदगी से दुःखी होकर अपने घर को त्याग दिया था वह तपस्या करने के लिए चले गये कुछ समय बाद उनको ऋषियों के साथ तपस्या करने लगे और आगे चलते समय कुछ साधुओं  के साथ भ्रमण करते हुए अब वह उन्होंने खाना खाना त्याग दिया और तपस्या में लीन हो गई श्री सिद्धार्थ को अभि ज्ञान प्राप्त नहीं उन्होंने आहार हवा के माध्यम से शुरू कर दिया और वह बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए और तपस्या करते रहे उन्हें ,,बैसाखी शुक्ला पूर्णिमा ज्ञान ,,की प्राप्ति हुएं  वही  से वह गौतम बुद्ध कहलाई  ज्ञान की प्राप्ति होने के गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश,, सारनाथ ,,में दिया था वहीं से बौद्ध धर्म की शुरुआत हुए उन्होंने कई जगह उपदेश देते हुए वह अपने राज्य में आ गये वह अपने पिता से मिले और अपनी पत्नी और बेटा राहुल से मिले अपने राज्य  से निकाल कर गौतम बुद्ध ने कई जगह उपदेश देते हुए लोगों को यह बताया की जीवन में केवल दुख ही है जो दुख को सुख में बदल ले वही तपस्या केवल पर ज्ञान की प्राप्ति होती है । पूरे भारत में बौद्ध धर्म तेजी से फैला और गौतम बुद्ध की अनुयाई काफी ज्यादा मे हो गए थे मन में महिलाएं भी धर्म में शामिल होने।। ________एक समय जब गौतम बुद्ध जंगल से होकर गुजर रहे थे। जंगल में उंगली माल मिला उंगली माल बोला ये भिक्षुक तुझे डर नहीं लगता मैं उंगली माल लोगों को मार कर उनकी उंगलियां गले में पहन लेता था उसकी उंगलियां 109 उंगलियां हो गई थी वह गौतम बुद्ध से बोल तेरी बाली दकर अपनी 110 उंगलियां पूरी कर लूंगा गौतम बुद्ध ने ठीक है वह बोल तुझको हमसे डर नहीं लगता गौतम बुद्ध बोले डर तो तू रहा है मैं नहीं तो लोगों को मारता है उससे तेरे अंदर  क्रोध की भावना जागृत होती है वह भगवान बुद्ध के चरणों में आग्रह वह बोला आप हमको अपनी शरण में ले लो और भगवान बुद्धने उसको अपना अनुयाई बनाकर अपने धर्म में शामिल कर लिया और उसको ज्ञान की प्राप्ति हुई।।

इसी प्रकार से पूरे भारत में बौद्ध धर्म प्रचलित होता चला गया और कई अनुयाई जुड़ते गई गौतम बुद्ध का सबसे प्रिय शिष्य आनंद बोला कि कोई व्यक्ति भिक्षापात्र में मांस दे देता है तो क्या करें उसको ग्रहण करें या फेंक दें तो गौतम बुद्ध बोले हमको जो दीक्षा पत्र में मिलता है तो हमको ग्रहण करना चाहिए लेकिन हमको किसी भी पशुकी बाली नहीं देना चाहिए अपने स्वार्थ के लिए यही सबसे बड़ा कारण है एक दिन गौतम बुद्ध आगे चलते समय एक वैश्य के घर पर ठहरे भगवान बुद्ध को वैश्या ने कुछ अवरुद्ध ख़ान भगवान बुद्ध को खिला दिया जिस भगवान बुद्धि की स्थिति खराब हो गई उन्होंने अपनी अंतिम सांस उत्तर प्रदेश कुशीनगर में ली वहीं पर उनकी मृत्यु हो गई थी उनकी मृत्यु विक्रम संवत 486 इसी पूर्व मैं हुई थी।।

इसके बाद गौतम बुद्ध की अनुयाई मैं कई देशों में बौद्ध धर्म प्रचलित हो गया इंग्लैंड जापान थाईलैंड चीन अमेरिका श्रीलंका पूरे एशिया के साथ-साथ पूरे विश्व में बौद्ध धर्म प्रचलित हो गया।।

बौद्ध धर्म का विस्तार मौर्य साम्राज्य के महान राजा अशोक सम्राट ने बौद्धधर्म प्रचार-प्रसार किया उन्होंने अपने पुत्र महेंद्र को बौद्ध धर्म की प्रचार के लिए कई जगह भेजो। मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत  में बौद्ध धर्म कुछ कुछ बाहर से आने आक्रमण करने वाली राजाओं ने बौद्धधर्म को भारत से बौद्धधर्म खत्म करने की प्रथा चलाई

अभी भी भारत में बौद्ध धर्म प्रचलित तो लेकिन उतना नहीं है अभी भी कई जगह है कई गुफाएं बौद्ध धर्म से भारत में बौद्ध धर्म  से प्रचलित है ।।

लेकिन भारत में बौद्ध धर्म को मानने वालो की संख्या कम है जो भी इस खबर को पड़े अपने हर जगह शेयर करें सब आप सभी को नरेन्द्र कुमार बौद्ध की तरफ से बौद्ध पूर्णिमा की हार्दिक दिलसे बंधाई।

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