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फर्जी वाड़ा में पुलिस बनी सार्थक कोर्ट ने मामले को लिया संज्ञान

कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करते हुए एक सप्ताह के भीतर आख्या प्रस्तुत करने का दिया आदेश 

उत्तर प्रदेश कौशांबी जिले के करारी थाना क्षेत्र के करारी कस्बे के पीड़ित गुलाम अहमद की तरफ से प्रार्थना पत्र शपथ में धारा 173 (4 ) बीएनएस दाखिल कर प्रार्थना किया गया है कि संबंधित थाना करारी कौशांबी को आदेशित किया जाए की पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज कर आवश्यक कार्यवाही की जाए पीड़ित ने उक्त घटना के बाबत एक प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक कौशांबी को प्रेषित किया था परंतु कोई कार्रवाई पुलिस अधीक्षक ने नहीं कर सके जबकि संबंधित थाना से आख्या मंगाई गई थी लेकिन थाने की आख्या अनुसार थाना स्थलीय पर प्रार्थना पत्र के संबंध में कोई अभियोग पंजीकृत नहीं हुआ प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 173 (4) बीएनएस के संपूर्ण अवलोकन करते हुए पीड़ित के गांव के मतलूब अहमद के द्वारा गाटा संख्या 750 रकवा 0.228 हेक्टेयर जो की पूर्व में फसली सन 1359 में तालाबी आरजी के रूप में दर्ज है।

उक्त तालाब को कूटचित करते हुए स्वयं अपने नाम पट्टा धारक के रूप में खतौनी में दर्ज कर लिया जो कि फर्जी प्रविष्टि है तथा कुछ समय के पश्चात उक्त पट्टा को भूमि धरी के रूप में दर्ज कराते हुए विपक्षी मतलूब अहमद ने उक्त तालाबी नंबर को कमला देवी के हक में पंजीकृत बैनामा 6 जुलाई 2022 को कर दिया जिस के संबंध में मंडलायुक्त प्रयागराज को जानकारी होने पर दिनांक 18 नवंबर 2022 को पत्रांक संख्या 459 में अपर जिला अधिकारी कौशांबी को स्थलीय निरीक्षण एवं अभिलेखीय निरीक्षण करते हुए आवश्यक कार्यवाही करने के लिए आदेश पारित किया था जिसमें अपर जिलाधिकारी कौशांबी द्वारा दिनांक 16/1/ 2023 को प्रार्थना पत्र के आधार पर फर्जी प्रविष्टि माना है ।क्योंकि पट्टा आवांटन पत्रावली में मतलूब हसन से संबंधित कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है क्योंकि घाटा संख्या 750 पर मतलूब हसन से संबंधित कोई प्रविष्टि आर – 6 पर अंकित नहीं है। दिनांक 30 जून 1981 के पट्टा आवांटन के समय आराजी संख्या 750 का रकबा एक बीघा दो विश्व उल्लिखित है तथा आवंटन के समय आराजी संख्या 750 का रकबा एक बीघा दो विश्व उल्लेखित है तथा पट्टा आवंटन के अतिरिक्त कोई उप जिला अधिकारी का आदेश दर्ज नहीं है पीड़ित के द्वारा उक्त फर्जी प्रविष्टि एवं कूट रचना के संबंध में थाना एवं पुलिस अधीक्षक कौशांबी को प्रार्थना पत्र दिया गया परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई।

उपरोक्त तथ्यों के संबंध में पीड़ित के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों पर बल देते हुए न्यायालय का मत है कि प्रस्तुत मामले में विवेचना जरिए संबंधित थाने से कराया जाना आवश्यक है। पीड़ित के विद्वान अधिवक्ता का सुनने के बाद तथा पत्रावली का संपूर्ण अवलोकन करने के बाद न्यायालय का मत है की प्रार्थना पत्र शपथ से समर्पित है। मामला प्रकृति का होने के कारण व प्रस्तुत मामले के संबंध में संबंधित थाने से विवेचना कराया जाना अति आवश्यक एवं न्याय संगत प्रतीत होने पर मामले के तथ्य व परिस्थितियों में पीड़ित द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रार्थना पत्र स्वीकार किए जाने हेतु आधार पर्याप्त है न्यायालय स्वीकार करते हुए आदेशित किया है कि प्रस्तुत प्रकरण के संबंध में मामला दर्ज करना सुनिश्चित करें और नियमानुसार विवेचना करके परिणाम से न्यायालय को एक सप्ताह के अंदर अवगत करना सुनिश्चित करें प्रार्थना पत्र की प्रति एवं आदेश की प्रति छाया लिपिक संबंधित थाना प्रेषित करना सुनिश्चित करें।

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