राजनीतिक दलों की तरह संसद परिसर में किसानों को भी प्रदर्शन की अनुमति दी जानी चाहिए।
अमरोहा: भाकियू संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि चौधरी चरणसिंह किसानों के प्रवक्ता थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राजनीतिक दलों के गैर-जरूरी प्रदर्शन व शोरगुल में किसानों के मुद्दे गौण हो गए। कोई भी राजनीतिक दल ग्रामीण भारत की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दिया, किसानों को अपनी मांगों को लेकर संसद परिसर में धरना प्रदर्शन की अनुमति दी जानी चाहिए।
धरती पुत्र, किसान कामगारों के समर्थक, सादा जीवन उच्च विचार को जीवन पर्यन्त निभाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री, भारतरत्न चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस के मौके पर भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा द्वारा गांव और किसानों की खुशहाली के लिए इंदिरा चौक गजरौला में हवन-यज्ञ आदि कर “किसान शक्ति” के रूप में मनाते हुए संकल्प लिया गया कि हम अपनी धरोहर, संस्कृति और सामुदायिक सम्पदा की प्राण प्रण से रक्षा करेंगे।इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में भाकियू संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि गांव और किसानों का प्रतिनिधित्व करने का दम भरने वाले सांसद, विधायक सभी अपनी अपनी पार्टी के लीडर हैं परन्तु चौधरी चरण सिंह की तरह गांव व किसान के लीडर नहीं है।उन्होंने किसान जागरण के लिए 13 अक्टूबर 1979 को “असली भारत” साप्ताहिक अख़बार शुरू किया था। उनसे मिलने जब गांवों से लोग आते थे वह उनसे कहते थे कि किराए पर इतना पैसा और समय खर्च करने के बजाय यही बात एक पोस्टकार्ड पर लिख भेजते तो तुम्हारा काम हो जाता। इस तरह राजनेताओं को उनसे प्रेरणा लेकर काम करने चाहिए।
नरेश चौधरी ने कहा कि सांसदों व विधायकों को किसानों की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं व शक्ति का आभास कराने के लिए चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस को “किसान शक्ति ” के रूप में मनाने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि हमारे संप्रभु अधिकारों के अंतर्गत सांसदों, विधायकों को उनकी जवाबदेही एवं कर्तव्यों का बोध कराना आवश्यक है। कहा कि चौधरी चरण सिंह को भारतरत्न से सम्मानित करने वाली वर्ष 2014 में बनी केंद्र सरकार से उम्मीद जगी थी कि वह चौधरी चरण सिंह की नीतियों को लागू करने के साथ किसान हित में काम करेगी , परंतु पैट्रोल डीजल,खाद बिजली, सिंचाई समेत खेती लागत में वृद्धि के साथ कमरतोड़ महंगाई एवं बेरोज़गारी ने ग्रामीणों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। मौजूदा हालात ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया। नरेश चौधरी ने आगे कहा कि प्रदेश में युवा मतदाताओं की कुल संख्या करीब 7.71 करोड़ है, कुल मतदाताओं में से इनकी संख्या लगभग 50 फीसदी के आसपास है। लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं, लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं, लगता है कि मौजूदा सरकार पिछले चुनावों में किए अपने वादों से मुकर गई है। किसानों को उनका वाजिब हक़ देने में आनाकानी की जा रही है।सरकार की फ्लेगशिप योजनाएं विफल साबित हो रही हैं। सीमांत जोत पर आधारित किसान परिवार की आमदनी राज्य सरकार के बाबू के मासिक वेतन से कम है। लघु एवं सीमांत कृषक ग्रामीण संसाधन का लगभग 85 फीसदी हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सामान्य किसान ऋण के बोझ से दबा रहता है। देश के 35 हज़ार करोड़ के उन्नत बीज के व्यवसाय में उत्तर प्रदेश के किसानों की भागेदारी शून्य है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि बुआई के समय डीएपी नहीं और सिंचाई के समय यूरिया नहीं।खाद के लिए काले बाज़ार में खरीदने के लिए मज़बूर होना पड़ रहा है। इस तरह ख़रीफ़ और रबी की दोनों फसलों में किसानों को दोनों हाथों लूटा जाता है। किसानों की आर्थिक तंगी तथा समुचित भंडारण व्यवस्था के अभाव में फ़सल कम दामों में बेचने की विवशता जगजाहिर है। परंतु सरकारी नीति इस दिशा में पूर्णतः निष्प्रभावी है। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे छोटे देशों से लाखों मैट्रिक टन खाद्य तेलों का आयात किया जाता है, अरबों डॉलर विदेश में खपाने के बजाय बुंदेलखंड एवं ब्रज क्षेत्र के किसानों के लिए योजना बनाकर कार्यक्रम लागू किया जाए तो प्रदेश का किसान संपन्न होगा वहीं दूसरी ओर देश खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर हो जाएगा। कृषि प्रधान देश को अभी भी आयात पर निर्भर रहना पड़ता पड़ रहा है और किसानों की हालत बद से बद्तर होती जा रही है।उन्होंने कहा कि मौजूदा पेराई सत्र में गन्ना मूल्य घोषित नहीं कर किसानों के साथ छल किया गया है। जबकि गन्ना उत्पादन लागत अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। श्री नरेश चौधरी ने कहा कि खेती के प्रति सरकार की उदासीनता का आलम यह है कि समस्त कृषि कार्यक्रम केंद्र व राज्य सरकार स्तर पर बजट के प्रावधानों में उलझ कर रह जाते हैं।
उन्होंने सरकार से मांग की कि भूमाफियाओं को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण बंद हो। कृषि क्षेत्र में पूंजी निवेश बढ़ाकर सिंचाई की आधुनिक तकनीकी युक्त सुविधाएं किसानों को उपलब्ध कराई जाएं। विपणन व्यवस्था को और अधिक व्यवहारिक बनाकर कृषि उपज का लाभकारी मूल्य पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए। कृषक को बिचौलियों की लूट से मुक्त कर नीति में सुधार किया जाए।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दिल्ली-नोएडा डायरैक्ट (डीएनडी) मार्ग पर की जा रही वसूली पर सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पब्लिक – प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के इस चलन में किस तरह राजनेता, ठेकेदार, अधिकारी और प्राइवेट कंपनियों ने टोल टैक्स तय करने तथा वसूली में लूट मचा रही हैं। और सड़कों का अनुचित बोझ आम सड़क यूजर्स को उठाना पड़ रहा है।
फ़र्क नहीं पड़ता हमें उनकी बद्दुआओं से,
वो सूरज बुझाना चाहते हैं ठंडी हवाओं से…
आज़ चौधरी चरण सिंह का जन्म दिन है,उनकी स्मृतियों को नमन! इस अवसर पर भाकियू संयुक्त मोर्चा राष्ट्रीय मुख्यसचिव अरुण सिद्धू, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विजय वीरसिंह, राष्ट्रीय सचिव चंद्रपाल सिंह, युवा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह,मंडलाध्यक्ष मयंक धारीवाल, युवा प्रदेश अध्यक्ष रवि चौधरी, प्रसिद्ध समाजसेवी राजकुमार अग्रवाल,अतुल चौधरी, अंकित देओल, प्रिन्स चौधरी, मोनिश, तरुन त्यागी, हाजी अब्दुल सलाम, कामिल चौधरी, अमित चीमा, इकबाल चौधरी, प्रिंस चौधरी, संजीव चौधरी, विकास चौधरी, महावीर सिंह, नितिन गोस्वामी, देशवीर सिंह, तस्लीम चौधरी,आदि किसान उपस्थित रहे।
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