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बिना परमिशन के 5 नीम के पेड़ एक महुआ का पेड़ काट दिए गए

बिना परमिशन के 5 नीम के पेड़ एक महुआ का पेड़ काट दिए गए नीम और महुआ के हरे पेड़ लकड़ी माफिया को प्राप्त है पुलिस का संरक्षण

रिपोर्टर अमित कुमार

अभी चार दिन भी नहीं हुए पहाड़िया और उरई अशरफपुर में 150 सागौन के पेड़ काटे गए आज की रात फिर 6 पेड़ नीम और महुआ के ठेकेदार द्वारा काट दिया गया।

कौशाम्बी थाना में हरे पेड़ों के कटान पर रोक नहीं लग रही है वन विभाग से लेकर पुलिस तक हरे पेड़ों के कटान को नहीं रोक पा रही है, लकड़ी माफिया बेखौफ है और रात में लकड़हारों को साथ लेकर पेट्रोलिंग आरा मशीन से धड़ाधड़ पेड़ों को काट रहे हैं इलाके में दर्जनों लकड़ी माफिया सक्रिय है पेड़ काटने के बाद लकड़ी काटने वाले माफियाओं पर कार्यवाही नहीं हुआ करती है जिससे लकड़ी माफिया पूरी तरह से निर्भीक होकर प्रतिबंधित पेड़ों को बेखौफ काट रहे हैं।

एक ताजा मामला कौशांबी थाना क्षेत्र के मढ़ी गांव का प्रकाश में आया है जिसमें मढ़ी गांव के भट्ठा के पास मुस्लिम का श्मशन है जिसमे 5 पेड़ नीम के और एक महुआ का पेड़ था जिसे बन विभाग एवं कौशाम्बी थाना के संरक्षण में काट दिया गया ग्रामीणों ने बताया कि करारी थाना क्षेत्र का लकड़ी व्यापारी बिना परमिशन के अवैध रूप से लगभग 6 हरे पेड़ को काट लिया है पेड़। और नीम महुआ के हरे पेड़ को काट कर लकड़ी माफिया लकड़ी उठा ले गये। हरे पेड़ों का कटान का काम पूरी रात चला जिसमें ग्रामीणों ने कहा कि रात भर चलता रहा लोगों ने पुलिस को सूचना भी दिया और पुलिस ने कौशाम्बी पुलिस आई लेकिन पेड़ के कटान को बिना रोके ही चली गई पेड़ काटने के बाद कई वाहन में लकड़ी भरकर लकड़ी माफिया मौके से लकड़ी उठा ले गए हैं झलासी और जड़ मौके में पड़ी है जो पेड़ कांटे जाने की गवाही दे रही है लकड़ी काटने वाले माफियाओं का नाम पुलिस सहित नीम और महुआ मालिक के जुबान में है लेकिन उसके बाद भी अभी तक लकड़ी माफिया को गिरफ्तार कर लकड़ी बरामद नहीं की गई है। जब इस सम्बंध मे वन विभाग के दरोगा ऋतु कुमार से बात करना चाहा तो ऋतु कुमार फोन रिसीव करना उचित नहीं समझा

सब कुछ स्पष्ट होने के बाद अभी तक लकड़ी माफियाओं पर मुकदमा नहीं दर्ज किया गया है वन विभाग के अधिकारी और कौशाम्बी थाना पुलिस मूक दर्शक बनी रह गयी है जिससे वन विभाग और पुलिस की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं और बृहदद पौधारोपण की बात बेमानी साबित हो रही है कब तक हरे पेड़ के कटान में लकड़ी माफियाओं का राज चलता रहेगा और व्यवस्था से जुड़े लोग केवल पेड़ के काटने के पीछे वसूली करते रहेंगे यह बड़ा सवाल खड़ा है यदि शासन प्रशासन ने मामले में जांच कराई तो हरे पेड़ काटने वाले माफियाओं के साथ-साथ विभागीय लोगों पर भी कार्यवाही होना तय है।

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