झोलाछाप डॉक्टरों के पास है हर बीमारी का इलाज, लोगों की जान से कर रहे हैं खिलवाड़।
संवाददाता प्रिंस रस्तोगी
फलावदा में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 15 से 25 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में मवाना अथवा जिला अस्पताल मेरठ भेज दिया जाता है। जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है।
झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देख रहा है।
केस बिगड़ने पर अस्पताल रैफर कर देते हैं मरीज। बीते कुछ वर्षों से फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है।
फलावदा में झोला छाप डाक्टरों की जगह-जगह हैं दुकानें
जिला मुख्यालय में ही झोलाछाप डाक्टरों की छोटी-बड़ी दर्जनों दुकानें चल रही हैं। इनके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी इनकी संख्या अधिक है। ग्रामीणों की बड़ी आबादी उपचार के लिए इन्ही झोलाछाप डाक्टरों पर निर्भर है, क्योंकि आवश्यकता के समय उन्हें घर के पास ही उपचार मिल जाता है।
न डिग्री, न पंजीयन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कुछ स्वास्थ्यकर्मियों की मिलीभगत से झोलाछापों ने हॉस्पिटल तक खोल रखे हैं।
हाल ही के दिनों में फलावदा के अंदर अवैध मेडिकल स्टोर बढ़ते जा रहे हैं जिनके पास ना तो स्वास्थ्य मंत्रालय के मानकों के तहत डी फार्मा की डिग्री है और ना ही कोई फार्मासिस्ट जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश अनुसार हर मेडिकल स्टोर पर एक फार्मासिस्ट की नियुक्ति होनी चाहिए कुछ मेडिकल स्टोर के पास ना तो डी फार्मा है ना ही कोई फार्मासिस्ट तथा जिनके पास होलसेल का लाइसेंस है वह रिटेल में दवाइयां देते हैं और मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं लोगों के पास किसी और के नाम के लाइसेंस हैं जिनको वह महीने पर किराए पर लिए हुए हैं।
इस बारे में जब हमारे सरल पहल के संवाददाता ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फलावदा मे हमारे संवाददाता को वहां पर चीफ फार्मासिस्ट विपिन वार्ष्णेय मरीजों का उपचार करते हुए मिले जबकि मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ जी का स्पष्ट आदेश है कि कोई भी किसी भी संबंधित विभाग का बड़ा अधिकारी अपने कार्यालय में सुबह 2:00 बजे तक उपस्थित मिलना चाहिए जहां तक बात स्वास्थ्य विभाग की है तो सीएमओ आचार्य स्तर के व्यक्ति को भी रोजाना मरीजों का उपचार करना होगा लेकिन सरकारी कर्मचारी ही उनके आदेश की लगातार अवहेलना कर रहे हैं या यू कहे कि उनको मुख्यमंत्री जी के आदेश की कोई फिक्र नहीं है।
क्षेत्र में बगैर लाइसेंस, डिग्री के मेडिकल स्टोर व क्लीनिक वर्षों से खुलेआम धड़ल्ले से चल रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य एवं ड्रग महकमा सोया हुआ है। स्टोर मालिक व झोलछाप डॉक्टर मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
इस बारे में जब चीफ मेडिकल ऑफिसर अखिलेश मोहन से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कॉल नहीं उठाई।
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