व्यापारियों के दबाव के कारण बाजार बंदी के आदेश को वापस लिया। आम जनमानस को रामलला की प्राण – प्रतिष्ठा का लाइव प्रसारण देखना दुर्लभ
अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि परिसर में बना रहे श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर श्रम विभाग की ओर से जारी किए गए आगामी 22 जनवरी को बाजार बंदी के निर्देशों को कारोबारियों के दबाव में वापस ले लिया गया है।
श्रम प्रवर्तन अधिकारी एवं सहायक श्रमायुक्त ने बाकायदा चिट्ठी जारी कर इस बंदी के आदेश को वापस लेने का ऐलान किया है। बाजार बंदी का आदेश वापस लेने से वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों पर काम करने वाला मजदूर तबका रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखने से वंचित हो गया है। बाद में सरकारी दफ्तरों में 22 जनवरी को छुट्टी का ऐलान शनिवार को यू टर्न लेते हुए श्रम विभाग की ओर से आगामी 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर किए गए बाजार बंदी के आदेश को वापस ले लिया गया है। श्रम प्रवर्तन अधिकारी एवं सहायक श्रमायुक्त शालू राणा की ओर से जारी किए गए संशोधित आदेशों में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन अनुभाग लखनऊ की विज्ञप्ति द्वारा 22 जनवरी को अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर में बने मंदिर में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन सुनिश्चित हुआ है । उक्त के दृष्टिगत नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 के अधीन दिनांक 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। इस संबंध में शालू राणा की ओर से आम जनमानस को अवगत कराया गया है कि उक्त अवकाश मात्रा सरकारी कार्यालय हेतु ही अवकाश घोषित किया गया है।
उत्तर प्रदेश दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962 के अंतर्गत समस्त दुकानें पहले की तरह 22 जनवरी को यथावत खुले रहेंगे। तकनीकी त्रुटि होने के कारण इस कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को वापस लिया जाता है। उधर बाजार बंदी के आदेश को वापस लिए जाने पर मजदूर वर्ग के लोगों ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा है कि उन्हें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का लाइव प्रसारण देखने के दुर्लभ मौके से व्यापारियों के दबाव में वंचित किया गया है। आम जनमानस ने भी बाजार बंदी के इस देश को वापस लिए जाने को कारोबारियों को भगवान राम का पुजारी नहीं बल्कि दौलत का पुजारी करार दिया है।
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