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जैन समाज में शोक की लहर

विराजमान सर्वोच्च जैन साध्वी ज्ञानमती माता व हस्तिनापुर स्थित अन्य जैन समाज ने विद्यासागर महाराज के समाधिमरण से जैन समाज में शोक की लहर

संवाददाता प्रिन्स रस्तौगी

हस्तिनापुर :- रविवार को देश के वरिष्ठतम दिगम्बर जैन आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधिमरण की सुचना से जैन समाज में शौक की लहर दौड गई। जैन धर्म एवं संस्कृति के एक महान उन्नायक संत के रूप में आचार्यश्री को सदैव जाना गया है। ऐसे आचार्यश्री के समाधिमरण पर अयोध्या में विराजमान सर्वोच्च जैन साध्वी ज्ञानमती माता व हस्तिनापुर स्थित अन्य जैन समाज ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने कहा कि संत समाज की आधारशिला होते हैं और उनमें आज आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने जैनधर्म की प्रभावना व तीर्थों के संरक्षण व विकास में जो कार्य किये हैं, वे अतुल्यनीय हैं।

ज्ञानमती माता ने कहा कि चूँकि जैन संत पदविहार करते हैं अतरू संतों का मिलन दुर्लभता से होता है। फिर भी आचार्यश्री के साथ हम लोगों की अनेक बार भेंट वार्ता हुई है। उन्होंने याद करते हुए बताया कि सन् 1971 में आचार्य धर्मसागर जी महाराज के संघ सान्निध्य में विहार करते हुए हम लोगों का मिलन आचार्य ज्ञानसागर महाराज व मुनि विद्यासागर महाराज से किशनगढ़ में हुआ था। पश्चात् सन् 1972 में अजमेर के निकट नसीराबाद में उनके साथ मिलना हुआ 29 दिसम्बर 2018 को खुरई मध्य प्रदेश में हमें उनके संघ के साथ मिलन और दर्शन का अवसर प्राप्त हुआ था। इस प्रकार सदैव ही आचार्य के साथ हम लोगों की मिलनसारिता व आपसी सौहार्द्र और शुभकामनाएँ बनी रही हैं।

पीठाधीश स्वामी ने कहा कि जब खुरई में माता और आचार्य संघ का मिलना हुआ था, तब आचार्यश्री ने श्री ज्ञानमती माता को अपनी बड़ी बहन के रूप में सम्बोधित करते हुए मिलकर अति हर्ष व्यक्त किया था और माता ने भी उन्हें साहित्य भेंट करके अपना नमोऽस्तु अर्पित किया था। इसी के साथ पूज्य स्वामीजी ने पुरानी स्मृतियों को याद करते हुए बताया कि सन् 1982 में पूज्य माताजी की प्रेरणा से जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति रथ का भारत भ्रमण हेतु प्रवर्तन हुआ था।

वहीं श्री दिग्मबर जैन मंदिर पर मुनि 108 समाधि सागर महाराज, मुनि 108 भाव भूषण महाराज व बाल ब्र0 सुनीता दीदी के संसघ सानिध्या में विनयांजलि सभा आयोजित कर एक दिन का उपवास व एक दिन का मौन रहने की साधना की। अध्यक्ष जीवेन्द्र कुमार जैन गाजियाबाद, महामंत्री मुकेष जैन सर्राफ व कोषाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार जैन व मंत्री राजीव जैन ने कहा कि – कि एक ऐसा सन्त भी था। इतनी तपस्या करने वाला कोई एक ऐसा सन्त भी था जिसे हमने अपनी आंखों से साक्षात देखा था, सुना था। वास्तव में हम बहुत भाग्यशाली जीव है जिन्होंने धरती के इस भगवान को चले फिरते हुए और अपनी चर्या में स्थिर अपनी आत्मा में स्थिर देखा। जिनका एक वाक्या मुझे याद है। मंदिर के प्रबंधक मुकेश जैन ने कहा कि महाराज श्री में इतनी तपस्या करने की शक्ति एक ऐसे ही सन्त में हो सकती है जो एक भाव अवतारी हो। आप जहां भी हो अपनी कृपया दृष्टि हम सब पर बनाये रखना। और हमे भी इतनी शक्ति प्रदान करना कि हम भी आप ही कि तरह तप करते हुए अपना है मनुष्य भव सफल बना सके।

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