मूंगफली के दामों ने निकाले किसानों के आंसू , किसानों का हो रहा बुरा हाल
देश के किसानों के लिए मूंगफली एक प्रमुख नकदी फसल है, जो उनकी आय का मुख्य स्रोत मानी जाती है। लेकिन इस बार मूंगफली के बाजार भाव ने किसानों को भारी निराशा में डाल दिया है। खरीफ सीजन में अच्छी पैदावार के बावजूद किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। बाजार में गिरते दामों के कारण किसानों की मेहनत और लागत पूरी नहीं हो पा रही, जिससे वे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
गिरते बाजार भाव से संकट
मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सरकार ने ₹6,929 प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन बाजार में किसान अपनी मूंगफली ₹4,000-₹5,000 प्रति क्विंटल तक बेचने को मजबूर हैं। कई जगहों पर यह कीमत ₹3,500 प्रति क्विंटल तक गिर गई है। स्थानीय मंडियों में मांग की कमी और व्यापारियों के दबाव के चलते किसानों को औने-पौने दामों पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है।
उत्पादन लागत से कम मिल रहा मूल्य
मूंगफली की खेती में किसानों को उर्वरक, पानी, बीज और श्रम पर भारी खर्च करना पड़ता है। एक क्विंटल मूंगफली की लागत लगभग ₹4,500-₹5,000 आती है। ऐसे में जब मंडियों में दाम इससे कम मिलते हैं, तो किसान भारी घाटे में चले जाते हैं।
सरकारी योजनाएं और राहत की कमी
हालांकि सरकार किसानों को समर्थन देने के लिए MSP लागू करती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि सभी किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाता। मंडियों में सरकारी खरीद की प्रक्रिया धीमी और जटिल है, जिससे किसान मजबूरी में अपनी फसल निजी व्यापारियों को कम दामों पर बेच देते हैं।
जलवायु परिवर्तन और उत्पादन पर असर
इस साल बेहतर मानसून के चलते मूंगफली का उत्पादन अधिक हुआ, लेकिन अधिक उत्पादन के कारण बाजार में मांग कम हो गई। इसके अलावा, निर्यात में भी गिरावट आई है, जिससे दामों में और गिरावट दर्ज की गई है।
किसानों की मांग
किसान संगठन सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि मंडियों में सरकारी खरीद तेज की जाए और MSP पर फसल की बिक्री सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा, किसानों का यह भी कहना है कि सरकार को मूंगफली का भंडारण और निर्यात बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।
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